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सरकार ने तीन दिन में मांगी रिपोर्ट, दस-दस लाख मुआवजे का किया ऐलान 

राजधानी के पश्चिमी इलाके में मोती नगर के ग्रीन कैपिटल डीएलएफ सोसाइटी में एक सीवर टैंक साफ करने उतरे छह मजदूरों में पांच की मौत के बाद भाजपा ने जहां दिल्ली सरकार पर निशाना साधा

सरकार ने तीन दिन में मांगी रिपोर्ट, दस-दस लाख मुआवजे का किया ऐलान 
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नई दिल्ली। राजधानी के पश्चिमी इलाके में मोती नगर के ग्रीन कैपिटल डीएलएफ सोसाइटी में एक सीवर टैंक साफ करने उतरे छह मजदूरों में पांच की मौत के बाद भाजपा ने जहां दिल्ली सरकार पर निशाना साधा वहीं राज्य सरकार ने फजीहत से बचते हुए श्रम विभाग ने तीन दिन में जांच रिपोर्ट तलब करते हुए श्रमिकों के परिवारीजनों को 10-10 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया। यह जानकारी हालंाकिश्रम मंत्री गोपाल राय ने ट्वीट कर दी।
बता दें कि सभी मृतक दूसरे कामों के लिए रखे गए थे लेकिन उन्हें बिना सुरक्षा इंतजामों के सीवर टैंक में उतार दिया गया। सोमवार को मोती नगर थाने के बाहर मृतकों के परिजनों ने अपना दुख सुनाया। मृतकों में राजा (22), विशाल (20), उमेश (23), पंकज (24), और सरफराज (19) शामिल हैं।

सरफराज के भाई अहमद अली ने बताया कि यह प्लांट चार महीने से खराब था और कंपनी के अधिकारी ठीक नहीं करवा रहे थे। कल छह लोगों को उतार दिया, जबकि हमारा काम केवल प्लांट को चलाना था। उसमें सुरक्षा इंतजाम, ऑक्सीजन मास्क कुछ नहीं था, इसलिए 5 लोगों की मौत हो गई। मृतक विशाल के भाई ने बताया कि वे ग्राउंड लेवल के नीचे बेसमेंट में काम कर रहे थे और कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं थे।
मजदूरों के परिवार वालों और साथियों का कहना है कि जिनकी मौत हुई उनका काम सीवर साफ करना नहीं था। हाउस कीपिंग, पम्प ऑपरेटर को सीवर में उतार दिया और यदि वे न कहते तो प्राइवेट कंपनी अधिकारी निकालने की धमकी दे रहे थे। उन्होने बताया कि मेरे शिफ्ट इंचार्ज ने बोला थोड़ा सा काम है कर दे और फिर यह हादसा हो गया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सवाल किया और कहा कि इन कर्मचारियों की दर्दनाक मौत के लिए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं। उन्होने कहा कि गत वर्षों दिल्ली में इसी तरह की 5 एवं 6 दर्दनाक घटनाओं में लगभग 50 सफाई कर्मचारियों की दर्दनाक मौत हुई थी।

केन्द्रीय सफाई मजदूर आयोग ने हस्तक्षेप किया था जिसके बाद हमेशा की तरह अपनी गुमराह करने वाली राजनीति के अंतर्गत अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में मेनुअल सीवर एवं सेप्टिक टैंक पर प्रतिबंध लगाया था और मजदूरों को सुरक्षा नियमों की टे्रनिंग और नई मशीने उपलब्ध कराने का वायदा किया था। आज लगभग एक वर्ष बाद भी न मशीने हैं और न सुरक्षा नियमों की कोई टे्रनिंग है। पर बेशर्म केजरीवाल दिल्ली की दीवारों को गरीबों और मजदूरों के वेतन बढ़ाने एवं उनके जीवन में सुधार लाने के झूठे वायदों के पोस्टरों से पाट रहे हैं।


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