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नियमित चिकित्सकों को समान वेतन दे सरकार : उच्च न्यायालय

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में दुर्गम एवं ठेठ पहाड़ी क्षेत्रों में काम करने वाले नवनियुक्त चिकित्सकों को बड़ी राहत प्रदान की है

नियमित चिकित्सकों को समान वेतन दे सरकार : उच्च न्यायालय
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नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में दुर्गम एवं ठेठ पहाड़ी क्षेत्रों में काम करने वाले नवनियुक्त चिकित्सकों को बड़ी राहत प्रदान की है।

उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिये हैं कि समान कार्य, समान वेतन के सिद्धांत के तहत नवनियुक्त चिकित्सकों को नियमित चिकित्साधिकारियों के समान वेतन प्रदान करे।

न्यायालय ने ये निर्देश विगत 2 नवंबर को दिये थे लेकिन आदेश आज गुरूवार को जारी किया गया है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि सरकार चिकित्सकों को बकाया राशि का भुगतान आज से दस सप्ताह के अंदर करे। ये आदेश वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की युगलपीठ की ओर से जारी किये गये हैं।

दरअसल, मामले को राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में काम करने वाले डा. अभिषेक बंदूनी एवं अन्य चिकित्सकों की ओर से चुनौती दी गयी थी। राजकीय मेडिकल कालेजों से प्रशिक्षित इन चिकित्सकों की ओर से कहा गया कि सरकार द्वारा बांड की शर्तों का उल्लंघन किया जा रहा है। करार के अनुसार राजकीय मेडिकल कालेजों से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद इन चिकित्सकों को पांच साल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा प्रदान करनी आवश्यक है।

चिकित्सकों की ओर से कहा गया कि वे करार की शर्तों का अनुपालन कर रहे हैं लेकिन सरकार उन्हें नियमित मेडिकल चिकित्साधिकारियों के समान वेतन का भुगतान नहीं कर रही है। सरकार सुगम क्षेत्र में काम करने वाले चिकित्सकों को 48000 रूपये, दुर्गम क्षेत्र में तैनात चिकित्सकों को 52000 जबकि अति दुर्गम क्षेत्र में तैनात चिकित्सकों को मात्र 56000 रूपये प्रदान कर रही है। जो कि गलत है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से आगे कहा गया कि वे नियमित चिकित्साधिकारियों के समान वेतन पाने के हकदार हैं। सरकार की ओर से कहा गया कि चिकित्सकों के वेतन में बढ़ोतरी की गयी है और उन्हें बांड की शर्तों के अनुसार वेतन का भुगतान किया जा रहा है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सरकार का यह कदम समान कार्य, समान वेतन के सिद्धांत के खिलाफ है। सरकार को चिकित्सकों के उत्पीड़न की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता चिकित्सक नियमित चिकित्साधिकारियों के समान सुविधा पाने के हकदार हैं। न्यायालय ने चिकित्सकों को नियमित चिकित्साधिकारियों के समान वेतन देने के भी निर्देश दिये हैं।


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