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सरकार के पास खर्च के लिए पैसे नहीं : चिदंबरम

अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार ने संख्या के जरिए मौजूदा स्थिति को छिपा दिया

सरकार के पास खर्च के लिए पैसे नहीं : चिदंबरम
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नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर जोरदार हमला करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार ने संख्या के जरिए मौजूदा स्थिति को छिपा दिया है और उसके पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं। चिदंबरम ने राज्यसभा में केंद्रीय बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा, "आप के पास पैसे नहीं हैं। आप ने अपनी स्थिति को संख्या के जरिए छिपाया है। ये संख्या विश्वसनीय नहीं है।"

पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार के निचले पायदान के अधिकारियों को नोटिस जारी करने की शक्ति देने के बावजूद कॉपोर्रेट टैक्स, व्यक्तिगत आयकर, सीमा शुल्क और जीएसटी जैसे विभिन्न करों में भारी कमी आई है।

चिदंबरम ने कहा, "आपने 16.49 लाख करोड़ रुपये (वर्तमान वित्त वर्ष में) का शुद्ध कर राजस्व जुटाने का वादा किया था। दिसंबर तक आपने सिर्फ नौ लाख करोड़ रुपये एकत्र किए हैं और आप हमें विश्वास दिला रहे हैं कि साल के अंत तक आप 15 लाख करोड़ एकत्र कर लेंगे।"

उन्होंने चालू वित्त वर्ष में सरकार के खर्च पर खराब प्रदर्शन को लेकर हमला किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 20 में 27 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया था, लेकिन दिसंबर तक यह सिर्फ 11.78 लाख करोड़ रुपये ही खर्च कर सकी।

उन्होंने कहा, "आप हमें यह मानने को कहेंगे कि साल के अंत तक आप 27 लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे।"

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने विभिन्न मैक्रो पैरामीटर्स को सूचीबद्ध किया, जहां अर्थव्यवस्था फिसल रही है। उन्होंने कहा कि लगातार छह तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में नकारात्मक वृद्धि हुई है और सातवीं तिमाही में कोई बेहतरी नहीं है। इसके अलावा सरकार बार-बार कहती है कि विकास दर में बढ़ोतरी होगी।

उन्होंने आर्थिक संकट के प्रबंधन के लिए सरकार की क्षमता पर सवाल उठाया और कहा कि यह हमेशा खराब प्रदर्शन के लिए पिछली सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। चिदंबरम ने कहा कि देश ने 1997, 2008 और 2013 में आर्थिक संकट का सामना किया है।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 20 के लिए राजस्व घाटा व राजकोषीय घाटा के उपलब्ध नंबर स्थिति के चिंताजनक होने का संकेत देते हैं। इसके अलावा, अगले वित्तीय वर्ष के अनुमान बताते हैं कि स्थिति और भी चिंताजनक होगी।


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