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पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के तहत लाए सरकार : कांग्रेस

पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार आठवें दिन बढ़ाए जाने के बीच कांग्रेस ने रविवार को सरकार से मांग की कि ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाया जाए और साथ ही कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ आम जनता को दिया जाए

पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के तहत लाए सरकार : कांग्रेस
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नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार आठवें दिन बढ़ाए जाने के बीच कांग्रेस ने रविवार को सरकार से मांग की कि ईंधन को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाए और साथ ही कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ आम जनता को दिया जाए।

कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, "नरेंद्र मोदी सरकार हर हाल में पेट्रोल, डीजल और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के दाम घटाकर अगस्त 2014 के स्तर पर लाए।"

सुरजेवाला ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत मौजूदा समय में 2014 के स्तर पर लगभग 40 डॉलर प्रति बैरल है, लेकिन उपभोक्ता तेल के लिए भारी बिल चुका रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त 2014 में दिल्ली में पेट्रोल 36.81 रुपये प्रति लीटर, डीजल 24.16 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी 261.60 रुपये प्रति सिलिंडर था। लेकिन मौजूदा समय में पेट्रोल 75.78 रुपये प्रति लीटर, डीजल 74.03 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी 593 रुपये प्रति सिलिंडर है।

उन्होंने मांग की, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सरकार हर हाल में पेट्रोल पर 23.78 रुपये और डीजल पर 28.37 रुपये बढ़ाए गए उत्पाद शुल्क को तत्काल वापस ले।"

ईंधन कीमतों में वृद्धि को लेकर सरकार की निंदा करते हुए सुरजेवाला ने कहा, "आज 130 करोड़ भारतीय कोरोवायरस महामारी से जूझ रहे हैं। गरीब, प्रवासी मजदूर, दुकानदार, किसान, छोटे और मझौले व्यापारी और नौकरियां गंवा चुके लोग मोदी सरकार द्वारा बर्बाद की गई अर्थव्यवस्था के बीच जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा, "लेकिन इन सभी के बोझ को कम करने के बदले निर्दयी और जन विरोधी भाजपा सरकार न सिर्फ हर रोज ईंधन कीमतें बढ़ाकर जनता को लूट रही है, बल्कि कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ भी जनता को नहीं दे रही है।"

कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले आठ दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमश: 4.52 रुपये प्रति लीटर और 4.64 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई गई हैं, जबकि कच्चे तेल की कीमतें कम हैं।

उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्ड का एक मामला है कि जब मई 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.46 रुपये प्रति लीटर था।

उन्होंने कहा, "पिछले छह वर्षो में पेट्रोल पर अतिरिक्त 23.78 रुपये और डीजल पर अतिरिक्त 28.37 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया। यह पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 258 प्रतिशत और डीजल पर 820 प्रतिशत की वृद्धि है।"

सुरजेवाला ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 और 2019-20 के बीच मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर 12 बार कर बढ़ाए हैं और पिछले छह सालों के दौरान 17,80,056 करोड़ रुपये इकट्ठा किए हैं।


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