वर्ष 2021-22 का आम बजट ‘अव्यावहारिक’: विपक्ष
कांग्रेस समेत मुख्य विपक्षी दलों ने वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट को ‘अव्यावहारिक’ करार देते हुए राज्यसभा में बुधवार को कहा कि सरकार घाटे को समेटने के लिए आनन फानन में सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश क

नयी दिल्ली। कांग्रेस समेत मुख्य विपक्षी दलों ने वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट को ‘अव्यावहारिक’ करार देते हुए राज्यसभा में बुधवार को कहा कि सरकार घाटे को समेटने के लिए आनन फानन में सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश कर रही है।
कांग्रेस के राजीव सातव ने सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार विकास करने तथा घाटे की भरपायी के लिए बिना सोचे समझे सरकारी संपदाओं को बचे रही है और अंधाधुंध विनिवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि विडंबना तो यह है कि जिस तरह से विनिवेश किया जा रहा है क्या उससे 1.75 लाख करोड के विनिवेश के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर विभिन्न विधेयकों को मनी बिल के रूप में लाकर राज्यसभा में चर्चा से बचना चाहती है । उसने राज्यसभा को द्वितीय सदन का दर्जा देकर उसका महत्व कम करने का प्रयास किया है । उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों से संबंधित तीनों विधेयक इसका उदाहरण है क्योंकि सरकार यदि इन विधेयकों को प्रवर समिति में भेज देती तो आज किसानों को सड़क पर नहीं बैठना पड़ता। उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में लगाये गये प्रभार के इस्तेमाल को लेकर भी सवाल उठाये।
माकपा की झरना दास वैद्य ने कहा कि बजट में पूंजीपतियों का ख्याल ज्यादा रखा गया है और गरीबों तथा बेरोजगार लोगों के लिए इसमें कुछ खास योजनाएं नहीं लायी गयी।
राजद के मनोज झा ने कहा कि कोविड महामारी के कारण महिलाओं पर दोहरी मार पड़ी है लेकिन उनके लिए कोई ऐसी योजना नहीं लायी गयी जिससे उन्हें ठोस तरीके से राहत पहुंचायी जा सके। उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या विनिवेश और सरकारी संपदा को बेचकर पैसा कमाया जाना उचित है। व्यापार सुगमता का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा कि व्यापार जगत को सुविधा देना अच्छी बात है लेकिन क्या सरकार ने कभी कर्मचारियों की काम करने की परिस्थितियों में सुगमता लाने के बारे में भी सोचा है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने आयकर विभाग में वर्चुअल कार्यप्रणाली का हवाला देते हुए कहा कि कुछ विशेष मामलों में जरूरत के हिसाब से आयकरदाता को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपनी बात रखने का मौका भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार की विनिवेश प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह विनिवेश के लिए उचित समय नहीं है।


