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ललित सुरजन की कलम से- सरकार ने मौके गंवाए

श्री मोदी ने बताया कि वे विदेशों में वैज्ञानिकों से मिले और नयी-नयी तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल की जिससे आगे चलकर भारत का भला होगा

ललित सुरजन की कलम से- सरकार ने मौके गंवाए
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'श्री मोदी ने बताया कि वे विदेशों में वैज्ञानिकों से मिले और नयी-नयी तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल की जिससे आगे चलकर भारत का भला होगा। हम प्रधानमंत्री से जानना चाहेंगे कि भारत में जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक हैं मसलन एम. स्वामीनाथन या जयंत नार्लीकर या पुष्प भार्गव, कभी उनके घर जाकर मिलने की बात उनके मन में क्यों नहीं आई?

हमें यह भी ध्यान आता है कि छह माह पूर्व भारतीय विदेश सेवा के नवनियुक्त अधिकारियों को उन्होंने सलाह दी थी कि विदेश जाकर वहां की संस्कृति से प्रभावित मत होना।

कहने का आशय यह है कि यदि भारत विश्वगुरु है तो फिर हमारे प्रधानमंत्री को विदेशी तकनीक यहां लाने के बारे में सोचना भी क्यों चाहिए? इस सुदीर्घ भाषण में उन्होंने जो अन्य बातें कीं उनमें भी कोई नयी बात न होकर पुराने वायदों का दोहराव ही था।


(देशबन्धु में 05 मार्च 2015 को प्रकाशित)

https://lalitsurjan.blogspot.com/2015/03/blog-post.html


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