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मुझे 'ड्रामेबाज' कहना वित्त मंत्री का अपना दृष्टिकोण : राहुल

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि उन्हें 'ड्रामेबाज' कहना वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का अपना दृष्टिकोण

मुझे ड्रामेबाज कहना वित्त मंत्री का अपना दृष्टिकोण : राहुल
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नई दिल्ली । पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि उन्हें 'ड्रामेबाज' कहना वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का अपना दृष्टिकोण है। राहुल ने सीतारमण की ओर से दिए गए बयान के जवाब में कहा कि मैंने पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के दर्द और उनकी पीड़ा को उजागर करने के लिए एक छोटी डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। राहुल गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, मजदूरों से बातचीत करने के पीछे मेरा सिर्फ एक लक्ष्य है। उनके दिल में क्या चल रहा है, मैं उसे समझने की कोशिश करता हूं। सच कहूं तो मुझे इससे बहुत लाभ मिलता है। जहां तक मदद की बात है, मैं मदद करता रहता हूं। अगर वह (निर्मला सीतारमण) मुझे इजाजत दें तो मैं जरूर बैग उठाकर ले जाऊंगा। एक का नहीं, 10-15 का उठाकर पैदल चला जाऊंगा।

कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्होंने प्रवासी मजदूरों के दर्द को महसूस करने और उनकी दुर्दशा को सामने लाने के लिए एक डॉक्यूमेंट्री (लघु फिल्म) बनाई। उन्होंने कहा कि वे हमारी ताकत और भविष्य हैं और अगर हम इन लोगों की मदद नहीं करते हैं तो फिर किसकी मदद करेंगे।

मजदूरों से मुलाकात करने पर राहुल को सीतारमण ने ड्रामेबाज कहा था। इससे संबंधित एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, यह (मुझे ड्रामेबाज कहना)वित्तमंत्री का अपना दृष्टिकोण है। मैं उनका धन्यवाद करता हूं। और अगर वह चाहती हैं कि मैं उत्तर प्रदेश जाऊं तो मैं पैदल चला जाऊंगा और दूसरों की मदद करूंगा, अगर वह मुझे अनुमति देती हैं तो।

केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद दक्षिण पूर्व दिल्ली में सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय राजधानी में प्रवासी कामगारों से मिले थे। सीतारमण ने पिछले सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तंज कसते हुए कहा था कि राहुल द्वारा ऐसा करने से केवल मजदूरों का समय बर्बाद हुआ है। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहत पैकेज को लेकर की जा रही प्रेस कॉन्फ्रेंस को ड्रामा बताया जा रहा है, लेकिन असली ड्रामेबाज वह खुद हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सड़क पर बैठकर मजदूरों से बात करके उनका समय बर्बाद करने में लगे हुए थे। इससे बेहतर होता कि वह उनके बच्चों, सूटकेस को पकड़कर उनके साथ पैदल चलते।



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