धान बेचकर पिता ने खरीदा एंटी रैबीज इंजेक्शन
केंद्र और राज्य की सरकार लोगों को सस्ता व सुलभ स्वास्थ्य सेवा मुहैय्या कराने के लिए कोई प्रयास नहीं छोड़ रही है

कोरबा-पाली। केंद्र और राज्य की सरकार लोगों को सस्ता व सुलभ स्वास्थ्य सेवा मुहैय्या कराने के लिए कोई प्रयास नहीं छोड़ रही है बावजूद इसके धरातल पर जरूरतमंद मरीजों को भटकने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
सरकारी अस्पतालों में आवश्यक दवाईयों से लेकर आपात परिस्थितियों में उपयोग होने वाले इंजेक्शन व दवा की उपलब्धता का दावा आज तब खोखला साबित हुआ जब एक पिता को एंटी रैबीज इंजेक्शन व दवाईयां बाहर से खरीदना पड़ा। इसके लिए उसे घर का धान पहले बेचना पड़ा।
जानकारी के अनुसार यह मामला पाली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है जहां आए एक ग्रामीण दंपत्ति को अपने बच्चे के इलाज के लिए घर का धान बेचना पड़ गया।
उन्होंने जब अस्पताल के प्रबंधकों से दवाईयां मांगी तो उन्हें दवाईयां उपलब्ध नहीं कराई गयी। इतना ही नहीं अस्पताल में एंटी रैबीज का टीका भी उपलब्ध नहीं था जिसके बाद मजबूर पिता ने घर का धान बेचा और फिर जरूरी दवाईयां खरीदकर डाक्टरों को दिया।
दरअसल पाली विकासखंड के ग्राम सीस के रहने वाले जयनारायण के 4 वर्षीय बालक काव्यान्शु को एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था।
वह अपने जख्मी बच्चे को लेकर सीधे पाली के पीएचसी पहुंचा। यहां डाक्टरों ने बच्चे का साधारण मरहम-पट्टी कर दिया और बाकी दवाईयां बाहर से खरीद कर लाने की बात कही। अस्पतालों में अनिवार्य तौर पर मौजूद रहने वाला एंटी रैबीज का इंजेक्शन भी उपलब्ध नहीं था।
जयनारायण नेे अपना स्मार्ट कार्ड दिखाते हुए कार्ड का लाभ लेना चाहा लेकिन अस्पताल स्टाफ ने इससे भी इंकार कर दिया। बताया गया कि बच्चे के इलाज में हो रहे देर को देखते हुए जयनारायण तत्काल गाँव वापस लौटा और फिर घर पर बीज के लिए रखे धान को औने-पौने दाम में बेचकर पैसे लेकर अस्पताल लौटा।
उसने इन पैसों से दवाईयां खरीदकर डाक्टर को सौंपी जिसके बाद बच्चे का इलाज संभव हो सका। इस मामले में पाली के खंड चिकित्सा अधिकारी से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।


