Top
Begin typing your search above and press return to search.

अब डेयरी उद्योग को बरबाद करने की तैयारी में सरकार

किसान संगठनों का आरोप है, कि सरकार अब डेयरी उद्योग को बरबाद करने की तैयारी कर रही है

अब डेयरी उद्योग को बरबाद करने की तैयारी में सरकार
X

नई दिल्ली। किसान संगठनों का आरोप है, कि सरकार अब डेयरी उद्योग को बरबाद करने की तैयारी कर रही है, उन्होंने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आर सी ई पी) को नकारते हुए चेतावनी दी कि यह व्यापार समझौता कृषि पर आधारित लोगों की आजीविका, बीजों पर उनके प्रभुत्व को खतरा है और देश के पर्याप्त डेयरी सेक्टर को भी खतरे में डालेगा।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अन्य 16 समझौता करने वाले देशों चीन, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और इस समझौते पर हस्ताक्षर करने को उत्सुक आसियान देशों के समक्ष घुटने ना टेके जो अपने अपने देशों में बड़े कृषि व्यवसाईओं को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। आर सी ई पी भारत के इस बड़े बाजार में ट्रेड करने वाले भागीदारों के मुनाफे में तो बढ़ोतरी करेगा पर यदि इस समझौते को पूरी तरह लागू किया गया तो देश को 60 हजार करोड़ के राजस्व का नुक़सान होगा।

किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, कि आर सी ई पी 92 फीसद व्यापारिक वस्तुओं पर शुल्क हटाने के लिए भारत को बाध्य करेगा। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, कि डेयरी उद्योग में अधिकतर महिलाएं हैं, जो प्रतिदिन नगद धन कमाती हैं। भारत पहले से ही डेयरी में आत्म निर्भर देश है। आर सी ई पी के जरिए, विदेशी कम्पनियां अपने ज्यादा उत्पादों को यहां खपाने की कोशिश करेंगी।

भारत का अधिकांश असंगठित डेयरी सेक्टर वर्तमान में 150 मिलियन लोगों को आजीविका प्रदान करता है। किसान नेताओं का आरोप है, कि डेयरी के अलावा आर सी ई पी विदेशी कंपनियों को महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे की बीज और पेटेंट में भी छूट देगा। आर सी ई पी को लेकर एक महत्वपूर्ण मुद्दा सदस्य देशों खासकर जापान और दक्षिण कोरिया की इस मांग का है जिसमें वे बीजों, दवाइयों, और कृषि रसायनों पर बौद्धिक सम्पदा संरक्षण लागू करने का है। यह भारतीय किसानों के लिए भयावह होगा क्योंकि भारत पर 1991 में बने इंटरनेशनल यूनियन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ न्यू प्लांट वैरायटी कन्वेंशन को लागू करने और इसके मानकों को मानने का दवाब है


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it