Top
Begin typing your search above and press return to search.

मप्र में किसानों की आय 53 हजार करोड़ से ज्यादा बढ़ी : सरकार

मध्यप्रदेश के किसानों की हालत दुनिया से छुपी नहीं है, उन्हें फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा, सब्जियों को सड़कों पर फेंकना पड़ा है

मप्र में किसानों की आय 53 हजार करोड़ से ज्यादा बढ़ी : सरकार
X

भोपाल। मध्यप्रदेश के किसानों की हालत दुनिया से छुपी नहीं है, उन्हें फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा, सब्जियों को सड़कों पर फेंकना पड़ा है, 50 से ज्यादा किसान कर्ज और फसल बर्बाद होने के चलते आत्महत्या कर चुके हैं, आंदोलन करते छह किसानों जान गई, मगर सरकार का दावा है कि इस वर्ष किसानों की कृषि आय में 53 हजार करोड़ से ज्यादा का इजाफा हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में सोमवार को हुई कृषि कैबिनेट की बैठक में बताया गया कि वर्ष 2016-17 के दौरान कृषि आय दो लाख 22 हजार 174 करोड़ रुपये रही है। वर्ष 2015-16 के दौरान यह एक लाख 68 हजार 427 करोड़ रुपये थी। इस प्रकार, इस वर्ष किसानों की कृषि आय में 53 हजार 747 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वृद्धि हुई है।

योजना एवं सांख्यिकी विभाग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2016-17 के दौरान वर्तमान मूल्यों में वृद्धि दर्ज की है। प्राथमिक क्षेत्र में भी प्रचलित मूल्यों पर 29़ 08 प्रतिशत की वृद्धि परिलक्षित हुई है।

बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने की सुविचारित व्यावहारिक कार्ययोजना बने। अल्पवर्षा और अवर्षा से प्रभावित होने की आशंका वाले क्षेत्रों के लिए अल्पकालिक आपात योजना भी बनाएं। सिंचाई और पेयजल की आवश्यकताओं का आकलन करते हुए, जल भंडारण की समुचित तैयारी करें। प्रवाहमान जल को रोकने के सभी समुचित उपाय युद्ध स्तर पर किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने अफसरों को निर्देश दिए कि मृदा कार्ड उपयोग का तरीका बताया जाए। जैविक उत्पादों की प्रमाणिकता और विक्रय के आउटलेट खुलवाए जाएं। धान खरीदी के साथ ही भावांतर भुगतान योजना के लिए पंजीयन की पुख्ता व्यवस्था हो।

उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण की छोटी-छोटी इकाइयों से बड़ा काम करने के लिए पंचायत स्तर पर इकाइयों की स्थापना कराने के निर्देश दिए। संरक्षित खेती में शेडनेट हाउस को प्रोत्साहित कराने के लिए भी कहा। मुख्यमंत्री ने गेहूं के प्रति हेक्टेयर उत्पादन में प्रदेश को अव्वल बनाने का लक्ष्य लेकर प्रयास करने के निर्देश दिए। साथ ही कृषि वानिकी विस्तार कार्यक्रम के तहत नर्मदा तटीय क्षेत्रों पर फोकस की जरूरत बताई।

बैठक में कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डा़ॅ राजेश राजौरा ने किसान की आय को दोगुना करने के रोडमैप और विगत 18 माह में क्रियान्वयन की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि चना, सोयाबीन, कुल दलहनी फसलें, कुल तिलहनी फसलें, अमरूद, टमाटर कुल जैविक क्षेत्र, जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया में देश में प्रदेश प्रथम स्थान पर है। राज्य में जैविक कपास, सोयाबीन और गेहूं का उत्पादन हो रहा है। खरीफ फसलों की उत्पादकता में वर्ष 2022 के लक्ष्यों की तुलना में बाजरा, अरहर, उड़द और मूंग की उत्पादकता का निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2016-17 में ही प्राप्त कर लिया गया है।

राजौरा के मुताबिक, रबी फसलों जौ और मसूर की वर्ष 2016-17 की उत्पादकता 2022 के लक्ष्य से अधिक हो गई है। आठ फसलों- सोयाबीन, चना, अरहर, मूंग, उड़द, ज्वार, बाजरा और कपास की उत्पादकता राष्ट्रीय उत्पादकता से अधिक हो गई है। कृषि अनुसंधान में मध्यप्रदेश को उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित हुई हैं।

बैठक में वित्तमंत्री जयंत मलैया, वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री गौरीशंकर बिसेन, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रुस्तम सिंह, राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, ऊर्जा मंत्री पारसचंद्र जैन, नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री लालसिंह आर्य एवं मुख्य सचिव बी़ पी़ सिंह भी उपस्थित थे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it