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मौजूदा सरकार से अनुच्छेद 370 की बहाली की उम्मीद मूर्खतापूर्ण : उमर

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि यह उम्मीद करना मूर्खता होगी कि केंद्र की सत्ताारूढ भाजपा सरकार अनुच्छेद 370 को बहाल कर देगी

मौजूदा सरकार से अनुच्छेद 370 की बहाली की उम्मीद मूर्खतापूर्ण : उमर
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श्रीनग। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि यह उम्मीद करना मूर्खता होगी कि केंद्र की सत्ताारूढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अनुच्छेद 370 को बहाल कर देगी।

श्री अब्दुल्ला ने कहा कि नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के एजेंडे से बाहर की कोई बात नहीं की गई।

उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान पीएजीडी के सदस्यों ने यह स्पष्ट किया कि चाहे कितने वर्ष लग जाएं वे अनुच्छेद 370 के लिये लड़ना बंद नहीं करेंगे।

श्री अब्दुल्ला ने आज नयी दिल्ली से लौटने के बाद संवाददाताओं से कहा, “पीएजीडी के सदस्यों ने बैठक के दौरान यह नहीं कहा कि हम पांच अगस्त 2019 को लिये गये फैसले से सहमत हैं। हमने प्रधानमंत्री से कहा कि लाेग इस फैसले से खुश नहीं हैं और वे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस चाहते हैं। हम लोगों को यह कहकर धोखा नहीं देना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी पांच अगस्त 2019 को लिया गया फैसला वापस ले लेंगे। यह उम्मीद करना मूर्खता होगी कि जिन लोगों ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा छीन लिया, वे इसे वापस कर देंगे।”

श्री अब्दुल्ला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में हिस्सा लिया लेकिन उन्हें कुछ बोलने का अवसर नहीं मिला। उनके पिता डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने इस बैठक के दौरान अपनी बात रखी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें वहां (बैठक में) गठबंधन के तौर पर नहीं बुलाया गया था। अगर ऐसा होता तो गठबंधन के केवल एक व्यक्ति को ही आमंत्रित किया जाता। पीएजीडी गठबंधन के तीन दलों- नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी- के सदस्याें ने प्रधानमंत्री की बैठक में भाग लिया। हमने उस बैठक में पीएजीडी के एजेंडे से बाहर की कोई बात नहीं की।”

श्री अब्दुल्ला ने कहा, “हमने उनसे (प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से) कहा कि हम पांच अगस्त 2019 को लिये गये फैसले के साथ नहीं हैं। हम इसे स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं हैं। हम कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहते.....हम यह लड़ाई अदालत में लड़ेंगे। मुझे उम्मीद है कि अदालत से हमें न्याय मिलेगा।”


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