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राहुल को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ चुकी है। देश में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृ तिक, धार्मिक, शैक्षणिक कई प्रयोजनों से यात्राएं समय-समय पर निकल चुकी हैं

राहुल को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत
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बिहार में वोटर अधिकार यात्रा भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ चुकी है। देश में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृ तिक, धार्मिक, शैक्षणिक कई प्रयोजनों से यात्राएं समय-समय पर निकल चुकी हैं। लेकिन तीन साल पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने राजनैतिक यात्रा के नए आयाम खोले, इसे लोगों का जितना प्यार और समर्थन मिला, उसे देखकर राहुल गांधी ने फिर भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली और अब वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा दोनों को लेकर भाजपा का रवैया काफी लापरवाह था, क्योंकि उसे यकीन था कि राहुल गांधी जो दावा कर रहे हैं, उसे वो पूरा नहीं कर पाएंगे और यात्रा बीच में ही असफल होकर रुक जाएगी।

लेकिन भाजपा का अनुमान गलत निकला। राहुल गांधी ने पूरी यात्रा बेहद शांति के साथ पूरी कर ली। उनकी राह में कानूनी अड़चनें डाली गईं, महिलाओं, बच्चों, पशुओं के नाम पर गंभीर आरोप लगाए गए। उनका बहुत तरह से मजाक बनाया गया। लेकिन एक भी दांव काम नहीं आया। हजारों लोगों की भीड़ होने के बावजूद दोनों यात्राएं लगभग निर्विघ्न संपन्न हुईं। अब वोटर अधिकार यात्रा पर लोगों की नजर है। पहली दोनों यात्राएं तो दक्षिण से उत्तर, पूरब से पश्चिम हुईं, लेकिन मौजूदा यात्रा का दायरा केवल बिहार के कुछ हिस्सों में सीमित है। लिहाजा पहले के मुकाबले यह और आसानी से संपन्न हो सकती है। बस इसे लेकर अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। क्योंकि विघ्नसंतोषी कहीं भी व्यवधान डाल सकते हैं।

जैसे यात्रा जब दरभंगा पहुंची तो यहां के अतरबेल में रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और उनकी स्वर्गीय मां के लिए अपशब्द कहे गए। भरी भीड़ में यह जाहिर नहीं है कि अपशब्दों का इस्तेमाल किसने किया और उसे पकड़ा गया या नहीं। लेकिन इस एक घटना पर भाजपा को राहुल गांधी पर उंगली उठाने का मौका मिल गया है। बता दें कि यह कार्यक्रम यूथ कांग्रेस से जुड़े मोहम्मद नौशाद ने करवाया था। इस विवाद के बाद नौशाद ने माफी मांग ली है। उनका कहना है कि किसी बाहरी व्यक्ति ने मंच से प्रधानमंत्री के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। वहीं भाजपा ने एक पोस्ट में कहा है कि राहुल के मंच से मोदी को गाली दी गई। इस तरह की भाषा बर्दाश्त के काबिल नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी को गाली के लिए राहुल को माफी मांगनी चाहिए। भाजपा ने कहा कि देश श्री मोदी के लिए इस तरह की भाषा बर्दाश्त नहीं करेगा।

भाजपा की नाराजगी से समझा जा सकता है कि राहुल गांधी को घेरने या उन्हें नीचा दिखाने का एक भी मौका वह नहीं छोड़ेगी। अब सोचने वाली बात ये है कि अगर किसी बाहरी व्यक्ति ने महागठबंधन के मंच से ऐसी धृष्टता करने का दुस्साहस किया है, तो रैली में तैनात सुरक्षाकर्मी क्या कर रहे थे। उस व्यक्ति को मंच तक आने कैसे दिया गया और फौरन पकड़ा क्यों नहीं गया। इससे पहले राहुल गांधी ने जब डोनाल्ड ट्रंप के फोन कॉल और युद्धविराम का जिक्र किया तो उन्होंने ट्रंप-मोदी संवाद के लिए तू संबोधन का प्रयोग किया। हालांकि मूलत: अंग्रेजी में हुई बात का अनुवाद आप भी हो सकता था, लेकिन हिंदी में थोड़ा असहज रहने वाले राहुल गांधी ने तू का इस्तेमाल किया। शायद उनके सलाहकारों ने बताया हो कि इस तरह की भाषा से जनता प्रभावित होती है, उसे नेता की ताकत या काफी हद तक दबंगई का अहसास होता है। लेकिन राहुल गांधी की राजनीति तो कभी दबंगई की हिमायत करने वाली नहीं रही है, जब वे अंग्रेजी में बोलते हैं, तो लहजा चाहे तल्ख हो, शब्द संयमित ही रहते हैं। फिर हिंदी में यही रवैया वे क्यों नहीं अपना रहे, यह समझ से परे है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई नेता बहुत मौकों पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल अपने विरोधियों और खास तौर पर गांधी परिवार के लिए कर चुके हैं। नरेन्द्र मोदी ने तो नेहरूजी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, डा. मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी इन सभी के लिए कई अभद्र टिप्पणियां की हैं। प्रियंका गांधी के पति और बच्चों पर भाजपा ने बेजा कीचड़ उछाला है। बात-बात पर संस्कारों की दुहाई देने वाली भाजपा को इसमें कभी कुछ गलत नहीं लगा। राहुल गांधी और कांग्रेस को समझना चाहिए कि भाजपा के संस्कार उसे मुबारक, लेकिन उनकी तरफ से ऐसा न हो। न निजी हमले हों न भाषा का स्तर बिगड़े, वर्ना भाजपा और कांग्रेस के बीच फर्क ही क्या रह जाएगा।

राहुल गांधी ने 7 अगस्त को जो प्रेस कांफ्रेंस की, उसके बाद से भाजपा वोट चोरी के मुद्दे पर काफी विचलित दिख रही है और राहुल गांधी बेहद सधे हुए तरीके से चुनाव निष्पक्ष करने की अपनी मुहिम को आगे भी बढ़ा रहे हैं। अब इसमें राई-रत्ती भर की चूक भी नहीं होनी चाहिए, वर्ना भाजपा तो इसी ताक में बैठी है कि किसी भी तरह इस मामले को आगे बढ़ने से रोके। बेशक वोटर अधिकार यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ रहा है। लोग वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे भी लगा रहे हैं। तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली हर जगह से गठबंधन सहयोगी यात्रा में साथ देने पहुंच रहे हैं और एक नए किस्म का भारत जोड़ो आंदोलन बन रहा है। लेकिन इससे चुनाव में वोट एनडीए की जगह महागठबंधन को मिल जाएंगे, इसकी गारंटी अब भी नहीं है। वह तभी होगी, जब कांग्रेस, आरजेडी, वामदलों के कार्यकर्ता बूथ पर सावधान और सक्रिय रहेंगे। यात्रा को 1 सितंबर को खत्म हो जाएगी। मगर उसका प्रभाव मतदान होते तक बना रहे, अब इस तरफ भी ध्यान देना होगा।


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