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राहुल गांधी ने बम फोड़ दिया

1 अगस्त को राहुल गांधी ने चेतावनी दे दी थी कि उनके पास चुनाव में वोट चोरी के पक्के सबूत हैं

राहुल गांधी ने बम फोड़ दिया
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1 अगस्त को राहुल गांधी ने चेतावनी दे दी थी कि उनके पास चुनाव में वोट चोरी के पक्के सबूत हैं। जब वे इन्हें सार्वजनिक करेंगे तो एटम बम फूटेगा। सात अगस्त की दोपहर जब राहुल गांधी ने वोट चोरी के मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस की, तो वाकई बड़ा धमाका हो गया। इस प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के ही आंकड़ों के जरिए साबित कर दिया कि कर्नाटक की एक विधानसभा सीट में किस तरह 1 लाख से ज्यादा फर्जी वोट पड़े हैं। राहुल गांधी का दावा है कि जिस तरह केवल इस एक सीट पर धांधली की गई है, वह असल में एक आसान तरीका है, जो पूरे देश में कहीं भी आजमाया जा सकता है, बल्कि आजमाया जा चुका है।

राहुल गांधी ने इस प्रेस कांफे्रंस को 'वोट चोरी' का शीर्षक दिया। जिसमें मीडिया के सामने उन्होंने दिखाया कि भाजपा बेंगलुरु मध्य लोकसभा सीट के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में छह में पिछड़ गई, लेकिन महादेवपुरा में उसे एकतरफा वोट मिला। श्री गांधी ने महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के मतदाता सूची के पूरे आंकड़े पत्रकारों के सामने पेश किए। 7 फीट से ऊंचे मतदाता सूची के इस पुलिंदे की पूरी पड़ताल में कांग्रेस की एक टीम को कुल छह महीने का समय लगा है। अगर कागज की जगह ये सूची चुनाव आयोग की तरफ से डिजीटली और वह भी मशीन के पढ़ने योग्य फार्म में उपलब्ध कराई जाती, तो शायद यह पड़ताल आसान होती। मगर राहुल गांधी का दावा है कि निर्वाचन आयोग मतदाता सूचियों को 'मशीन के पढ़ने योग्य' (मशीन रीडेबल) डेटा उपलब्ध नहीं करा रहा है ताकि ये सब पकड़ा नहीं जा सके। फिर भी कांग्रेस ने अभी एक ही संदिग्ध नतीजे वाली सीट का विश्लेषण किया तो हतप्रभ करने वाले आंकड़े सामने आए हैं। भाजपा द्वारा जीती गई इस सीट पर 1,00,250 मतों की चोरी की गई, ऐसा कांग्रेस का दावा है।

इन एक लाख दो सौ पचास मतों के विश्लेषण में सामने आया कि 11,965 डुप्लीकेट वोटर बनाए गए, 40,009 फर्जी पतों का इस्तेमाल हुआ, 10,452 वोटर बड़ी संख्या में एक ही पते पर रजिस्टर किए गए, 4,132 वोटर बिना फोटो या अवैध फोटो के साथ जोड़े गए, 33,692 नए वोटर फॉर्म-6 का गलत इस्तेमाल कर जोड़े गए। एक ही पते पर कहीं 40 कहीं 50 लोगों के वोटर आईडी बने हैं। एक ही नाम से कई मतदाता पहचान पत्र बने हैं, जिनमें कहीं कर्नाटक, कहीं महाराष्ट्र, कहीं उत्तरप्रदेश का पता दर्ज है। कई जगहों पर नाम एक थे, फोटो अलग-अलग थे। कई कार्ड्स में मकानों के पते पर शून्य लिखा है। कई में पिता के नाम पर अंग्रेजी के अक्षर अजीबोगरीब क्रम में लिख दिए गए हैं। फार्म 6, जिसके उपयोग से नए मतदाताओं के कार्ड बनते हैं और फिर उनका नाम वोटर लिस्ट में आता है, इस फार्म 6 के तहत 70, 80 साल के मतदाताओं के कार्ड भी बने हैं, जबकि कायदे से इसमें 18 साल वाले वोटर होने चाहिए। इस तरह के फर्जीवाड़े से महज एक सीट पर लाख से अधिक वोट बढ़ाए गए और मजे की बात ये है कि यहां भाजपा की जीत हुई है।

अकाट्य तथ्यों और सबूतों के साथ राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की धांधली का उदाहरण देश के सामने पेश कर दिया। फिर अपनी बात दोहराई कि जो खेल इस एक सीट पर हुआ है, उसी तरह की आशंकाएं महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में भी बनी हैं। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को जीत की उम्मीद थी, एक्जिट पोल भी यही दर्शा रहे थे। सत्ता पर बैठे हर राजनैतिक दल के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी सामान्य बात है, लेकिन भाजपा इससे हमेशा कैसे बच निकल रही है, इसका पूरा खुलासा राहुल गांधी ने किया। उन्होंने कहा कि चुनाव में धांधली की बात हम पहले भी कहते थे, लेकिन पूरे तथ्य नहीं थे, इसलिए झिझकते थे। मगर अब राहुल गांधी ने यह कहने में कोई संकोच नहीं किया कि विपक्ष कभी न कभी सत्ता में आएगा और तब हर छोटे-बड़े जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई होगी।

कायदे से इस समय तीनों चुनाव आयुक्तों को अपना इस्तीफा देकर इस धांधली की स्वतंत्र जांच का रास्ता तैयार करना चाहिए। क्योंकि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के उसके दावे पर ये एक लाख 250 फर्जी वोट सवाल उठा रहे हैं। मगर हमेशा की तरह राहुल गांधी को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। भाजपा ने तो चुनाव आयोग की तरफ से जवाब देना शुरु कर ही दिया है। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर अपात्र मतदाताओं के जुड़े और पात्र मतदाताओं के नाम हटाने के आरोप पर शपथ पत्र मांगा है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राहुल गांधी और कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को शुक्रवार 1 से 3 बजे तक मिलने का समय भी दिया है। जब इस बारे में राहुल गांधी से सवाल हुए तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि 'मैं एक राजनेता हूं। मैं लोगों से जो कहता हूं वह मेरा वचन है। मैं इसे सार्वजनिक रूप से सभी से कह रहा हूं। इसे शपथ के रूप में लें। यह उनका डेटा है, और हम उनका डेटा दिखा कर रहे हैं। यह हमारा डेटा नहीं है। यह चुनाव आयोग का डेटा है।

राहुल गांधी के इस बड़े खुलासे के बाद अब चुनाव आयोग के पाले में गेंद चली गई है कि वह या तो इन सबूतों को गलत साबित करे या फिर गलती की जिम्मेदारी स्वीकार करे। अगर चुनाव आयोग ऐसा नहीं करता है, तो फिर राहुल गांधी का यह आरोप भी पुख्ता होगा कि नरेन्द्र मोदी जिन 25 सीटों के कारण प्रधानमंत्री बने हैं, वे भी संदिग्ध हैं। लोकसभा के साथ-साथ महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली सारे चुनावों पर अब प्रश्नवाचक निशान लग चुका है। कांग्रेस के अलावा अन्य दल भी अब चुनाव आयोग की निष्पक्षता के सबूत मांग रहे हैं।

भाजपा इस लड़ाई को निजी बनाकर राहुल गांधी पर हमला बोल रही है, लेकिन भाजपा को भी यह याद रखना होगा कि इस लोकतंत्र के कारण ही उसे सत्ता मिली है। अगर लोकतंत्र नहीं बचेगा तो क्या भारत बच पाएगा, यह गंभीर सवाल देश के सामने है। इसलिए राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा करने की जगह जो मुद्दे उन्होंने उठाए है, उस पर पूरे देश में विचार हो, माननीय सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे, तभी चुनाव की चोरी रोकी जा सकेगी।


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