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सड़क पर उतरने की तैयारी में कांग्रेस

बिहार चुनाव में हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस के पतन की भविष्यवाणी होने लगी है। कई स्वनामधन्य पत्रकारों ने विश्लेषण करना शुरु कर दिया है कि राहुल गांधी जिन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं

सड़क पर उतरने की तैयारी में कांग्रेस
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बिहार चुनाव में हार के बाद एक बार फिर कांग्रेस के पतन की भविष्यवाणी होने लगी है। कई स्वनामधन्य पत्रकारों ने विश्लेषण करना शुरु कर दिया है कि राहुल गांधी जिन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाते हैं, वहां कांग्रेस को किस तरह हार मिलती है। ऐसा लगता है मानो बिहार में भाजपानीत एनडीए की जीत नहीं, महागठबंधन की हार इनके लिए ज्यादा मायने रखती है। अब यह सबका अपना विवेक है कि वे बिहार के चुनाव परिणामों का विश्लेषण किस तरह करते हैं। लेकिन इस बीच कांग्रेस ने मौजूदा हाल पर गहन मंथन शुरु कर दिया है। एक तरफ कांग्रेस ने सांगठनिक स्तर पर कार्रवाई आरंभ की है, तो दूसरी तरफ चुनावी धांधली के खिलाफ सड़कों पर उतरने की उसकी तैयारी है।

कांग्रेस विरोधियों को यह देखकर निराशा हो सकती है कि 14 नवंबर को आए नतीजों के चार दिन बाद ही कांग्रेस ने एक बड़ी बैठक बुला ली। हार से परेशान होकर उसके नेता घरों में बंद नहीं हुए। बल्कि इन परिणामों की समीक्षा कर नयी रणनीति बनाने में जुट गए। मंगलवार 18 नवंबर को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में उन 12 राज्यों के एआईसीसी महासचिवों, कांग्रेस प्रभारियों, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों समेत बड़े पदाधिकारियों की एक बैठक हुई, जहां अभी चुनाव आयोग विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया चला रहा है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तो थे ही, राहुल गांधी भी इसमें शामिल हुए।

बता दें कि अपने दैनिक एसआईआर बुलेटिन में चुनाव आयोग ने कहा था कि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50.11 करोड़ गणना प्रपत्र वितरित किए जा चुके हैं। इन राज्यों में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें पुडुचेरी के अलावा बाकी तीनों राज्यों में एसआईआर के खिलाफ राज्य सरकारों ने आपत्ति दर्ज कराई है। तमिलनाडु और प.बंगाल से एसआईआर रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है और इन राज्यों की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हुई है। वहीं केरल सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर रोकने की याचिका दायर की है। याचिका में केरल सरकार ने एसआईआर प्रक्रिया को राज्य में चल रही स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (एलएसजीआई) की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक रोकने की मांग की है। गौरतलब है कि केरल में स्थानीय निकाय चुनाव दो चरणों में 9 दिसंबर और 11 दिसंबर को कराए जाएंगे, जबकि राज्य में 4 नवंबर से एसआईआर प्रक्रिया शुरू हो गई है और 4 दिसंबर को ड्राफ्ट प्रकाशित किया जाएगा। केरल सरकार का तर्क है कि केरल पंचायत राज कानून संवैधानिक प्रक्रिया है और इस अहम प्रक्रिया के दौरान एसआईआर कराना, प्रशासनिक गतिरोध पैदा हो सकता है। जबकि तमिलनाडु में अधिकारी और कर्मचारी ही एसआईआर का विरोध कर रहे हैं। तमिलनाडु के बूथ स्तर के अधिकारी बीएलओ के साथ ही तहसीलदार स्तर तक के अधिकारियों ने मंगलवार से बहिष्कार का ऐलान किया था। तमिलनाडु राजस्व कर्मचारी संघों के संगठन ने कहा कि वे काम का बोझ, कम लोग, समयबद्ध दबाव, अधूरी ट्रेनिंग और मेहनताने के विरोध में प्रदर्शन करेंगे। ये विरोध और अदालत में पहुंचती याचिकाएं बता रही हैं कि निर्वाचन आयोग और उसका साथ देती भाजपा मतदाता सूची शुद्धिकरण के जितने तर्क दें, उन शंकाओं का समाधान फिर भी नहीं हो पा रहा, जिनमें वैध मतदाताओं के नाम काटने की बात कही गई है।

इधर भाजपा शासित असम में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन आयोग ने पूर्वोत्तर के इस राज्य के लिए 'विशेष पुनरीक्षण' यानी केवल एसआर की घोषणा की है। इसे लेकर भी विपक्ष हमलावर है और सवाल उठा रहा है कि यहां एसआईआर क्यों नहीं किया जा रहा है, क्या यह भाजपा का दोहरा मापदंड नहीं है।

बहरहाल, जैसे बिहार एसआईआर में आपत्तियों को अनसुना किया गया, वही रवैया अब भी अपनाया जाएगा, यह तय है। लेकिन इस बार कांग्रेस ने आवाज बुलंद करने के लिए सड़कों पर उतरने का फैसला लिया है। मंगलवार की बैठक में यह भी तय हुआ है कि दिसम्बर के पहले सप्ताह में रामलीला मैदान में विशाल रैली आयोजित की जाएगी। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बताया कि इस रैली में हम चुनाव आयोग के राजनीतिकरण का पर्दाफाश करेंगे। चुनाव आयोग ने जैसा बिहार में किया, वही नीति बाकी राज्यों में अपनाई जाएगी। एसआईआर को लेकर हम बिहार चुनाव के पहले से सवाल उठा रहे हैं। हमने बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' भी निकाली थी और देश को बताया था कि एसआईआर में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं। एसआईआर के बारे में सुप्रीम कोर्ट के 5 आदेश आए, जो कि चुनाव आयोग की बदनीयत को दिखाते थे और उसे सुप्रीम कोर्ट ने भी देखा। कांग्रेस पार्टी ने देशभर में एक 'हस्ताक्षर अभियान' चलाया, जिसमें 5 करोड़ हस्ताक्षर इकठ्ठा हुए हैं। ये पार्टी स्तर से चलाया जाने वाला अभियान रहा। अगर वोटर का अधिकार छीना जाएगा तो हम सब आवाज उठाएंगे और यह हमारा कर्तव्य है।

कांग्रेस का ये ऐलान भाजपा को तो परेशान करेगा ही, चुनाव आयोग के लिए भी चुनौती खड़ी करेगा। क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी संस्थानों के पक्षपातपूर्ण दुरुपयोग से लोकतांत्रिक सुरक्षा उपायों को नष्ट नहीं होने देगी। चुनाव आयोग को साबित करना होगा कि वह भाजपा की छाया में काम नहीं कर रहा है और उसे अपनी संवैधानिक शपथ और भारत के लोगों के प्रति निष्ठा याद है, किसी सत्तारूढ़ दल के प्रति नहीं। श्री खड़गे ने कहा, हमारा दृढ़ विश्वास है कि भाजपा वोट चोरी के लिए एसआईआर प्रक्रिया को हथियार बनाने का प्रयास कर रही है। यदि निर्वाचन आयोग इसे नजरअंदाज करता है, तो वह विफलता सिर्फ प्रशासनिक नहीं है, यह संलिप्तता है।

जाहिर है कांग्रेस एक बार फिर बड़ी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। एसआईआर पर आर-पार की लड़ाई किस नतीजे पर आती है, इसी पर देश के संविधान और लोकतंत्र का भविष्य टिका है।


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