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दिल्ली यूनिवर्सिटी की जंबो कार्यकारी परिषद की बैठक में नहीं हो सके कई अहम फैसले 

दो महीने बाद हुई DU की सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद की बैठक में कुछ सदस्यों द्वारा समय देने मांग की और उसके बाद शून्यकाल के दौरान प्रतिनिधियों ने यूनिवर्सिटी से सम्बन्धित मुद्दों पर लंबी बहस की

दिल्ली यूनिवर्सिटी की जंबो कार्यकारी परिषद की बैठक में नहीं हो सके कई अहम फैसले 
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नई दिल्ली। दो महीने बाद हुई दिल्ली यूनिवर्सिटी की सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद की बैठक में कुछ सदस्यों द्वारा समय देने संबंधी मांग की और उसके बाद शून्यकाल के दौरान प्रतिनिधियों ने यूनिवर्सिटी से सम्बन्धित मुद्दों पर लंबी बहस की। शिक्षकों ने आठ घन्टे लम्बी बहस की और एजेंडे पर तो अभी बातचीत शुरू ही नहीं हुई थी कि मीटिंग बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई, अब बैठक गुरूवार, 6 जुलाई को होगी।

बैठक में दिल्ली सरकार के 28 कॉलेज की गवर्निंग बॉडी को मंजूरी सति कई अहम फैसले लिए जाने थे लेकिन शून्यकाल के दौरान सदस्यों ने इतना समय ले लिया जिसके कारण आठ घंटे तक बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया।

मीटिंग के पांच घण्टे के बाद ईसी ने एकेडेमिक काउंसिल की चार दिन लगातार चली बैठक में जो छात्रों के मामले में नए कोर्स और कुछ सब्जेक्ट में बदलाव किया था। इसके अलावा लेंग्वेज कोर्स व डिप्लोमा कोर्स शुरू करने संबंधी कॉलेजों ने अप्लाई किया था उन्हें दे दिया गया और उसे एकेडेमिक काउंसिल ने पास कर दिया था।

आज की बैठक में एकेडेमिक काउंसिल के मिनट्स को कन्फर्म कर दिया गया और बैठक में पेंशन के मुद्दे पर बहस हुई और यह बहस लगभग दो घंटे तक चली व बहस लंबी चलते देख बैठक को स्थगित कर दिया गया व अब यह गुरूवार को की जाएगी।

दिल्ली यूनिवर्सिटी की एकेडेमिक काउंसिल के मेंबर प्रो. हंसराज सुमन ने बताया कि कार्यकारी परिषद की दो महीने बाद बैठक बुलाई गई थी और उम्मीद थी कि सभी अहम फैसले हो जाएंगे।

उन्होंने बताया कि ईसी की मीटिंग में दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले 28 कॉलेजों की गवर्निग बॉडी के नामों को मंजूरी देना था, सरकार व डीयू ने अपनी सूची तैयार कर ली थी लेकिन एजेंडे पर बात ही नहीं हुई। उनका कहना है कि पिछले नौ महीने से इन कॉलेजों में गवर्निंग बॉडी है। इसी तरह से एक दर्जन से अधिक सरकार के इन कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर ओएसडी के रूप में कार्य कर रहे हैं। इन 28 कॉलेजों में लगभग दो हजार से अधिक टीचर्स एडहॉक के रूप में पिछले दस वर्षो से काम कर रहे हैं। इन एडहॉक टीचर्स को स्थायी करने का मुद्दा भी लटका हुआ है।

प्रोफेसर सुमन ने बताया है कि पेंशन के मामले में सदस्यों ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से एकेडेमिक काउंसिल की मीटिंग चार दिन चलीए ठीक उसी तरह से ईसी की बैठक भी हंगामेदार होने की संभावना है।


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