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राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयन्ती पर दिल्ली विश्विद्यालय कर रहा है राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

आजादी की लड़ाई में चार बार जेल जाने वाले एवं किसान आन्दोलन में भाग लेने वाले प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी एवं प्रख्यात लेखक महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयन्ती के अवसर पर दिल्ली विश्विद्यालय एक

राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयन्ती पर दिल्ली विश्विद्यालय कर रहा है राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
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नयी दिल्ली। आजादी की लड़ाई में चार बार जेल जाने वाले एवं किसान आन्दोलन में भाग लेने वाले प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी एवं प्रख्यात लेखक महापंडित राहुल सांकृत्यायन की 125वीं जयन्ती के अवसर पर दिल्ली विश्विद्यालय एक दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है।

विश्विद्यालय के आत्मा राम सनातन धर्म कालेज ने 24 तारिख को यह संगोष्ठी आयोजित की है जिसका उद्घाटन श्री संकृत्यायन की विदुषी पुत्री जया संकृत्यायन करेंगी।

चार सत्रों में होनेवाली इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिन्दी के प्रसिदध आलोचक डॉ मैनेजर पाण्डेय होंगे जो जवाहर लाल नेहरु विश्विद्यालय के भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष रह चुके हैं। पहले सत्र में अम्बेडकर विश्विद्यालय के प्रोफेसर डॉ गोपाल प्रधान, बनारस हिन्दू विश्विद्यालय के डॉ रामाग्या शशिधर एवं जे एन यू के राजनीति शास्त्री मणिकांत ठाकुर वक्ता होंगे।

अन्य सत्रों में संगोष्ठी के अन्य वक्ताओं में चर्चित पत्रकार उर्मिलेश, दयाल सिंह कालेज के डॉ कमल नयन चौबे, देशबंधु कालेज के डॉ प्रदीप कान्त चौधरी होंगे।

गौरतलब है कि देश के विभिन्न हिस्सों में इस साल राहुल जी की 125 वीं जयन्ती मनाई जा रही है। गत माह पटना में अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ की और से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। इससे पहले बी एच यू ने भी एक सेमिनार किया था। साहित्य अकादमी और भारतीय ज्ञानपीठ भी राहुल जी पर आयोजन कर चुकी है। राहुल जी के गाँव में भी नौ अप्रैल को समारोह हुए थे। इसके अलावा कई शहरों में सेमिनार प्रस्तावित हैं।

आज़मगढ़ के पन्दहा गाँव में नौ अप्रैल 1893 में जन्मे राहुलजी ने 142 किताबें लिखी और सम्पादित की थी और तिब्बत से लाख से अधिक पांडुलिपियां अपने साथ भारत लाये थे। उन्हें जयप्रकाश नारायण के साथ 1962 में भागलपुर विश्विद्यालय से मानद डीलिट की डिग्री मिली थी और भारत सरकार ने उन्हें पद्मभूषण भी प्रदान किया था एवं मध्यशिया के इतिहास पुस्तक पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला था।


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