Top
Begin typing your search above and press return to search.

पर्यावरण क्षति को लेकर आशंकित ग्रामीण

विभाग सहित खुद सरकार द्वारा जहाँ वनों एवं वन्य प्राणियों को बचाने  बारनवापारा अभ्यारण्य से वनग्राम  ग्रामों को व्यवस्थापित किया जा रहा है

पर्यावरण क्षति को लेकर आशंकित ग्रामीण
X

कसडोल। आज वन विभाग सहित खुद सरकार द्वारा जहाँ वनों एवं वन्य प्राणियों को बचाने बारनवापारा अभ्यारण्य से वनग्राम ग्रामों को व्यवस्थापित किया जा रहा है तथा क्षेत्र के अन्य जंगलों को बचाने प्रयास की जा रही है वही सरकार देवपुर वन परिक्षेत्र के वनग्राम बाघमाडा क्षेत्र में सोने की खदान के लिये वेदांता कम्पनी को दे दिए जाने की खबर से प्रकृति प्रेमियों में निराशा उतपन्न हो गई है।

क्योकि यह क्षेत्र सघन वनों से आच्छादित कीमती सागौन सहित इमारती लकड़ियों के भंडार होने के साथ साथ जड़ी बूटियों के अलावा वन्य प्राणियों का शरण स्थल है ।जहाँ सोने के लिये खुदाई होने के बाद इस सोने से कही ज्यादा नुकसान होने की आशंका है ।

ज्ञात हो कि बाघमाडा के संभावित सोने की खदान के खनन की नीलामी प्रक्रिया के बाद अब वन्य जीव बोर्ड द्वारा बाघमाडा की खदान से सोने की सर्वेक्षण के लिए बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे वनक्षेत्र का लगभग 414 हेक्टेयर वनभूमि की एनओसी वेदांता कंपनी को दे दी वैसे वेदांता को करीब 1000 हेक्टेयर में शुरूआती दौर में सोना खनन करना है कहाँ जा रहा है वहां लगभग 2700किलोग्राम सोना मिलने की संभावना है जो की सघन वनक्षेत्रों से घिरा हुआ है। आज इस प्रतिनिधि के बाघमाडा के संभावित सोने के खदान ऐरिया पहुंचने पर वहां के निवासियों ने अपने लिए रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की मांग की है वहीं दूसरी ओर उनके मन में अपने गांव से बेदखल कर दिए जाने की चिंता भी है।

ज्ञात हो कि राजधानी रायपुर से 133 किमी दूर व विकासखण्ड मुख्यालय कसडोल से करीब 55 किमी दूर घने जंगलों व पहाडियों से घिरा है जहाँ सागौन सहित बेशकीमती इमारती वृक्ष और दुर्लभ वनौषधियों का भंडार है जो सोने से भी कीमती है। बलौदाबाजार भाटापारा जिले में बाघमाडा गोल्ड माइंस मध्य भारत का सबसे पुराना पूर्वेक्षित इलाका है जहाँ पहली बार सन्1967 में पहली बार सर्वे किया गया था बाद में 1981 से1990 के मध्य संचालनालय भौमिकी एवं खनि कर्म द्वारा पूर्वेक्षण किया गया था आज इस ऐरिया को वन्य जीव बोर्ड की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद खुदाई का रास्ता साफ हो गया है इस खदान से कहा जा रहा है।

सरकार को करोडों का राजस्व प्राप्त होगा व रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे वहीं दूसरी ओर जंगल क्षेत्र में लगे करोडों रूपये की राजस्व देने वाली इमारती लकडियों के साथ पर्यावरण को भी नुकसान होना तय है। इसी वस्तुस्थिति का पता लगाने कसडोल- वनग्राम बाघमाडा के संभावित सोने की खदान के खनन की नीलामी प्रक्रिया के बाद अब वन्य जीव बोर्ड द्वारा बाघमाडा की खदान से सोने की सर्वेक्षण के लिए बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे वनक्षेत्र का लगभग 414 हेक्टेयर वनभूमि की एनओसी वेदांता कंपनी को दे दी वैसे वेदांता को करीब 1000 हेक्टेयर में शुरूआती दौर में सोना खनन करना है कहाँ जा रहा है वहां लगभग 2700किलोग्राम सोना मिलने की संभावना है जो की सघन वनक्षेत्रों से घिरा हुआ है।

आज इस प्रतिनिधि के बाघमाडा के संभावित सोने के खदान ऐरिया पहुंचने पर वहां के निवासियों ने अपने लिए रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की मांग की है वहीं दूसरी ओर उनके मन में अपने गांव से बेदखल कर दिए जाने की चिंता भी है।

उससे कहीं ज्यादा इमारती वृक्ष एवं वनौषधियों के अलावा वन्यजीवों तथा पर्यावरण को गंभीर क्षति होने की आशंका है संस्थान ने सरकार से पुनर्विचार करने की माँग की है और यदि खुदाई हो भी तो पर्यावरण को कम से कम क्षति हो ऐसा प्रयास हो। स्थानीय संवाददाता एवं वसुंधरा सामाजिक सेवा संस्थान अध्यक्ष अनुराग मिश्रा ने उस क्षेत्र व चिन्हित ऐरिया का स्थानीय लोगों के साथ दौरा कर वहां के निवासियों से उनकी राय जानी जहाँ चरण दास पटेल सोनू सिदार भिखारी सिदार नम्मू राम बिंझवार नंद कुमार गौतम होताराम पटेल जगदीश गनपत बिंझवार लच्छीराम बिंझवार आदि ने एक स्वर में कहा कि हमें रोजगार की गारंटी के साथ जमीन का सही मुआवजा यदि हमारे गांव को अधिग्रहीत की जाती तो दिया जाना चाहिए ।

इस सम्पूर्ण प्रकरण पर वसुंधरा सामाजिक सेवा संस्थान का भी कहना है कि सोना मिलने से निश्चित ही राजस्व की प्राप्ति तो होगी पर उससे कहीं ज्यादा इमारती वृक्ष एवं वनौषधियों के अलावा वन्यजीवों तथा पर्यावरण को गंभीर क्षति होने की आशंका है संस्थान ने सरकार से पुनर्विचार करने की माँग की है और यदि खुदाई हो भी तो पर्यावरण को कम से कम क्षति हो ऐसा प्रयास हो।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it