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मतदाताओं के पते में 'जीरो' नंबर क्यों? राहुल गांधी के आरोप का सीईसी ने दिया जवाब

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के 'वोट चोरी' और मतदाता सूची में 'हाउस नंबर 0' से संबंधित आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है

मतदाताओं के पते में जीरो नंबर क्यों? राहुल गांधी के आरोप का सीईसी ने दिया जवाब
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नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने रविवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के 'वोट चोरी' और मतदाता सूची में 'हाउस नंबर 0' से संबंधित आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि जहां मकान नंबर आवंटित नहीं होते, वहां मतदाता सूची में 'हाउस नंबर 0' दर्ज किया जाता है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में मकान नंबर अनिवार्य होने के बावजूद, जिन नागरिकों के पास मकान नंबर नहीं है, उन्हें फर्जी मानना गलत है।

उन्होंने कहा, "किसी ने कहा था कि 80 हजार लोगों के 'हाउस नंबर 0' है और इसलिए वह फर्जी है। अगले दिन कई मतदाता सामने आए और उन्होंने बताया कि हम यहां रहते हैं। मैं बताना चाहता हूं कि इस देश में करोड़ों लोगों के पते के आगे जीरो नंबर लिखा है, क्योंकि जिन घरों में वह रहते हैं, पंचायत और नगर पालिकाओं ने उनका नंबर नहीं दिया है। शहरों में अवैध कॉलोनियां हैं, जहां उनके मकान पर नंबर नहीं हैं। ऐसे में वह अपने पते में क्या भरें? आयोग के निर्देश कहते हैं कि अगर कोई भी ऐसा मतदाता इस देश में है तो ईसीआई उसके साथ खड़ा है और नॉशनल नंबर (काल्पनिक संख्या) देगा।"

उन्होंने आगे कहा, "जब मतदाता सूची में जानकारी कंप्यूटर के माध्यम से दर्ज की जाती है, तो बिना मकान नंबर वाले पते में 'जीरो' दिखाई देता है। इसका मतलब यह नहीं कि वह मतदाता फर्जी है। इसी तरह जिन लोगों के पास घर नहीं होता है और उसके बावजूद उनका नाम मतदाता सूची में होता है। ऐसे में उनका पता वही दिया जाता है, जहां वह व्यक्ति रात में सोने आता है। इसके बावजूद भी यह कहा जाए कि वह फर्जी मतदाता है, तो यह हमारे देश के गरीब मतदाताओं के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है।"


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