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बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' सफल, चुनावी नतीजों का अन्य राज्यों पर पड़ेगा असर: डी राजा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने घोषणा की कि अखिल भारतीय पार्टी कांग्रेस महाधिवेशन 21 से 25 सितंबर तक चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा सफल, चुनावी नतीजों का अन्य राज्यों पर पड़ेगा असर: डी राजा
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डी राजा ने 'वोटर अधिकार यात्रा' को बताया लोकतांत्रिक ऊर्जा का स्रोत

  • बिहार चुनाव के नतीजों का असर तमिलनाडु, केरल और बंगाल तक पड़ेगा: सीपीआई
  • भाकपा महासचिव बोले- नीतीश सरकार जन आकांक्षाओं पर विफल
  • ओडिशा सम्मेलन में भाजपा-आरएसएस गठबंधन से मुकाबले की रणनीति पर चर्चा
  • धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करने के लिए वामपंथी सहयोग पर जोर

नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने घोषणा की कि अखिल भारतीय पार्टी कांग्रेस महाधिवेशन 21 से 25 सितंबर तक चंडीगढ़ में आयोजित की जाएगी। राष्ट्रीय कार्यक्रम से पहले राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें भुवनेश्वर में चल रहा ओडिशा राज्य सम्मेलन भी शामिल है।

डी राजा ने कहा कि ओडिशा सम्मेलन के दौरान राज्य सचिव ने मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और भाजपा-आरएसएस गठबंधन का मुकाबला करने की रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत की।

उन्होंने कहा कि इस योजना में भाकपा के संगठनात्मक आधार को मजबूत करने, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों को एकजुट करने और राज्य में दक्षिणपंथी और फासीवादी तत्वों का विरोध करने के लिए वामपंथी और कम्युनिस्ट समूहों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

डी राजा ने बिहार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हाल ही में आयोजित 'वोटर अधिकार यात्रा' की सराहना करते हुए इसे एक 'बेहद सफल' आंदोलन बताया, जिसे भारी जन समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि इस अभियान ने लोकतांत्रिक ताकतों को ऊर्जा दी है और बिहार में राजनीतिक बदलाव का मंच तैयार किया है।

भाकपा नेता ने आगे कहा कि सीएम नीतीश कुमार का शासन जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने में विफल रहा है। बिहार चुनाव के नतीजों का तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

जीएसटी के फैसले पर टिप्पणी करते हुए डी राजा ने याद दिलाया कि सीपीआई ने शुरू से ही जीएसटी के कार्यान्वयन का कड़ा विरोध किया था। उन्होंने कहा, "हमने प्रासंगिक प्रश्न और चिंताएं उठाईं, लेकिन सरकार ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया।"

उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों और आम नागरिकों ने भी जीएसटी पर असंतोष व्यक्त किया था, जिससे केंद्र को अपना रुख बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि स्लैब कम करने और सरलीकरण की दिशा में हालिया कदम कर व्यवस्था के त्रुटिपूर्ण कार्यान्वयन के खिलाफ सीपीआई के निरंतर रुख को पुष्ट करता है।


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