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सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार, कहा-हाईकोर्ट या एनजीटी के सामने रखें अपनी मांग

देशभर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) की तर्ज पर नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास आने योग्य नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता अपनी मांग हाईकोर्ट या नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के सामने रखें

सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण वाली याचिका पर सुनवाई से किया इनकार, कहा-हाईकोर्ट या एनजीटी के सामने रखें अपनी मांग
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देशभर में ग्रैप जैसी नीति की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार, कहा-हाईकोर्ट या एनजीटी जाएं

नई दिल्ली। देशभर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली के ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) की तर्ज पर नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट के पास आने योग्य नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता अपनी मांग हाईकोर्ट या नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के सामने रखें।

याचिका में कहा गया था कि जब भी किसी शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 या उससे ज्यादा हो, तो ग्रैप की तरह तुरंत लागू होने वाली एक ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए। साथ ही देशभर में और अधिक प्रदूषण मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित करने की भी मांग की गई थी।

इससे पहले 1 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद गंभीर रुख अपनाया था। सीजेआई सूर्यकांत ने कहा था कि वायु प्रदूषण का मुद्दा अब केवल अक्टूबर में ही नहीं सुना जाएगा, बल्कि पूरे साल इसकी नियमित सुनवाई होगी। अदालत ने निर्देश दिया था कि कम से कम महीने में दो बार इस पर सुनवाई हो ताकि स्थिति को सुधारने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जा सकें।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने देश की हवा की वास्तविक स्थिति और वैज्ञानिक विश्लेषण पर सवाल उठाया था। उन्होंने पूछा था कि आखिर देश में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण क्या है? उन्होंने पराली के मुद्दे को लेकर भी साफ कहा था कि अदालत इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहती क्योंकि किसानों का प्रतिनिधित्व अदालत में बेहद कम होता है।

सीजेआई ने यह भी याद दिलाया था कि कोविड काल के दौरान भी पराली जलाई गई थी, लेकिन उस समय लोगों ने साफ, नीला आसमान देखा था। इसलिए पराली को राजनीतिक बहस या अहंकार का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।

सुनवाई में सीजेआई ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) से यह जानना चाहा था कि दिल्ली-एनसीआर की हवा तुरंत सुधारने के लिए उनका शॉर्ट-टर्म प्लान क्या है। जवाब में सीएक्यूएम ने कहा था कि वे पहले ही अपना हलफनामा दाखिल कर चुके हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुई अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एश्वर्या भाटी ने कहा था कि हरियाणा, पंजाब, सीपीसीबी और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) दाखिल कर सकती है।

सीजेआई ने कहा था कि अदालत का उद्देश्य किसी पर आरोप लगाना नहीं, बल्कि समाधान ढूंढना है। उन्होंने कहा कि हम हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकते और सभी संबंधित पक्षों को एक प्लेटफॉर्म पर लाकर मिलकर समाधान निकालने की जरूरत है।

अदालत ने सीएक्यूएम को निर्देश दिया था कि वह एक सप्ताह के भीतर ऐसी रिपोर्ट दाखिल करे जिसमें पराली जलाने के अलावा प्रदूषण के अन्य कारणों पर लगाम लगाने के लिए उठाए गए ठोस और प्रभावी कदमों की पूरी जानकारी हो।


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