Top
Begin typing your search above and press return to search.

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय : तलाकशुदा मुस्लिम महिला को दहेज में मिला पैसा और सोना वापस पाने का अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि तलाक पर अधिकारों का संरक्षण एक्ट, 1986 के तहत एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को पिता से मिले दहेज का पैसा और सोना वापस पाने का अधिकार है

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय : तलाकशुदा मुस्लिम महिला को दहेज में मिला पैसा और सोना वापस पाने का अधिकार
X

तलाकशुदा मुस्लिम महिला को दहेज में मिला पैसा और तोहफा वापस पाने का हक, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि तलाक पर अधिकारों का संरक्षण एक्ट, 1986 के तहत एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को पिता से मिले दहेज का पैसा और सोना वापस पाने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला तलाकशुदा महिला रौशनारा बेगम के मामले में सुनाया, जिन्होंने अपने पहले पति से दहेज के रूप में प्राप्त सात लाख रुपए और तीस ग्राम सोने की वापसी के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

रौशनारा बेगम का निकाह 2005 में हुआ था और 2011 में उनका तलाक हो गया था। निकाह के समय महिला के पिता ने दामाद को सात लाख रुपए और तीस ग्राम सोने के गहने दिए थे, जिसकी जानकारी निकाह रजिस्टर में दर्ज थी। हालांकि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने काजी और महिला के पिता के बयानों में असंगति का हवाला देते हुए महिला का दावा खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि निकाह के समय मिले धन और गहनों का संबंध महिला की सुरक्षा और गरिमा से है। अदालत ने इस कानून की व्याख्या महिला के समानता और गरिमा के संवैधानिक अधिकारों के आधार पर की।

सुप्रीम कोर्ट ने रौशनारा के पति को सात लाख रुपए और तीस ग्राम सोने का मूल्य सीधे महिला के बैंक खाते में जमा करने का आदेश सुनाया। आदेश का पालन न करने पर पति पर नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज लागू होगा और उसे अदालत में इसके अनुपालन का हलफनामा देना होगा।

कोर्ट ने कहा है कि भारत का संविधान सभी के लिए एक उम्मीद यानी बराबरी तय करता है, जो जाहिर है, अभी तक हासिल नहीं हुई। इस मकसद को पूरा करने के लिए कोर्ट को अपनी सोच को सोशल जस्टिस के आधार पर रखना चाहिए। इसे सही संदर्भ में कहें तो 1986 के एक्ट का दायरा और मकसद एक मुस्लिम महिला के तलाक के बाद उसकी इज्जत और वित्तीय सुरक्षा को सुरक्षित करना है, जो भारत के संविधान के आर्टिकल 21 के तहत महिलाओं के अधिकारों के मुताबिक है।

कोर्ट ने कहा कि इसलिए इस एक्ट को बनाते समय बराबरी, इज्जत और आजादी को सबसे ऊपर रखना चाहिए और इसे महिलाओं के अपने अनुभवों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it