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सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों पर चल रही सुनवाई टली, 7 जनवरी की मिली तारीख, हो सकता है फैसला

लावारिस कुत्तों की देखभाल और उनसे जुड़ी सुरक्षा चिंताओं पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही अहम सुनवाई फिलहाल टाल दी गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को होगी। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी आपत्तियों और दलीलों पर उसी दिन विस्तार से विचार किया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों पर चल रही सुनवाई टली, 7 जनवरी की मिली तारीख, हो सकता है फैसला
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लावारिस कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई टली, 7 जनवरी को अगला फैसला

नई दिल्ली। लावारिस कुत्तों की देखभाल और उनसे जुड़ी सुरक्षा चिंताओं पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही अहम सुनवाई फिलहाल टाल दी गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी 2026 को होगी। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी आपत्तियों और दलीलों पर उसी दिन विस्तार से विचार किया जाएगा।

यह मामला गुरुवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष आया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जिस तीन-न्यायाधीशों की विशेष पीठ को इस मामले की सुनवाई करनी थी, वह अब नहीं बैठ रही है, इसलिए सुनवाई को आगे के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि दिल्ली नगर निगम ने लावारिस कुत्तों के प्रबंधन को लेकर ऐसे नियम बना दिए हैं, जो मौजूदा कानूनों और वैधानिक प्रावधानों के खिलाफ हैं। उन्होंने आशंका जताई कि दिसंबर में ही इन नियमों को लागू कर दिया जाएगा और कुत्तों को हटाया जाएगा, जबकि उनके लिए पर्याप्त शेल्टर होम की व्यवस्था नहीं है। सिब्बल ने इसे बेहद अमानवीय करार दिया।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने कहा कि यदि नियम लागू होते हैं, तो अदालत बाद में इस पर विचार करेगी।

वहीं, न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगली सुनवाई में एक वीडियो दिखाया जाएगा और यह सवाल उठाया जाएगा कि आखिर मानवता क्या होती है। इस पर कपिल सिब्बल ने भी कहा कि याचिकाकर्ता पक्ष जमीनी हालात दिखाने के लिए वीडियो प्रस्तुत करेगा।

अदालत ने साफ किया कि लावारिस कुत्तों के प्रबंधन से जुड़े सभी विवादों और आपत्तियों पर 7 जनवरी 2026 को ही विस्तार से सुनवाई होगी।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान में ली गई उस कार्यवाही का हिस्सा है, जो 28 जुलाई को दिल्ली में लावारिस कुत्तों के काटने की घटनाओं, खासकर बच्चों में रेबीज के मामलों से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों के बाद शुरू हुई थी। इससे पहले 7 नवंबर को अदालत ने स्कूलों, अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और खेल परिसरों जैसे संवेदनशील स्थानों पर कुत्तों के काटने की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि पर गहरी चिंता जताई थी।

अपने पिछले आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में स्कूलों, अस्पतालों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों और स्टेडियमों को लावारिस कुत्तों से मुक्त करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही अदालत ने हाईवे और सड़कों से गाय, बैल और अन्य पशुओं को हटाने का भी आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि हर हाईवे पर 24 घंटे निगरानी टीमें और हेल्पलाइन नंबर तैनात किए जाएं।


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