संविधान-लोकतंत्र की रक्षा के लिए एसआईआर पर गंभीर चर्चा कराए सरकार : राहुल
विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने संसद की कार्यवाही शुरु होने से पहले मंगलवार को यहां भवन परिसर के मकर द्वार के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन किया जिसमें कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, द्रमुक के टी आर बालू सहित संसद के दोनों सदनों के कई सांसदों ने हिस्सा लिया

एसआईआर के विरोध में विपक्षी दलों ने किया संसद भवन में जोरदार प्रदर्शन, चुनाव सुधार पर चर्चा कराए सरकार : राहुल
नई दिल्ली। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने संसद की कार्यवाही शुरु होने से पहले मंगलवार को यहां भवन परिसर के मकर द्वार के बाहर जबरदस्त प्रदर्शन किया जिसमें कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, द्रमुक के टी आर बालू सहित संसद के दोनों सदनों के कई सांसदों ने हिस्सा लिया।
प्रदर्शन में प्रियंका गांधी तथा खरगे के साथ ही लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, उपनेता गौरव गोगोई, पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी वाड्रा, टी आर बालू सहित कई अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और हाथों में तख्तियां तथा बैनर लेकर एसआईआर के विरोध में नारेबाजी की। विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार के बाद अब 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही एसआईआर की प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में मतदाताओं को उनके अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने बाद में सोशल मीडिया फेसबुक पर विरोध प्रदर्शन की जानकारी देते हुए लिखा कि संसद भवन के बाहर आज इंडिया गठबंधन ने एसआईआर के विरोध में बड़ा प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह तो जाते हैं कि संसद भारत के लोगों का है, मगर जनता के ज़रूरी मुद्दों पर चर्चा से उनकी सरकार भागती रहती है। लोकतंत्र में मताधिकार से बड़ा जनता का मुद्दा क्या हो सकता है, इसलिए विपक्ष की मांग है कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संसद में एसआईआर पर गंभीर चर्चा हो।
उन्होंने लिखा "वोट से ही हर नागरिक के सारे अधिकार हैं और एसआईआर साफ तौर पर देश के गरीबों और बहुजनों के वोट काटने और चुनावों को एक तरफा बनाने का हथियार है।"
प्रियंका गांधी ने कहा "मोदी सरकार और चुनाव आयोग मिलकर एसआईआर के जरिये 'वोट चोरी' को अंजाम दे रहे हैं। यह हमारे करोड़ों दलित, पिछड़े, आदिवासी और वंचित भाई-बहनों से वोट का अधिकार छीनने का संगठित प्रयास है। जितने भी सवाल उठ रहे हैं, चुनाव आयोग किसी सवाल का जवाब नहीं दे रहा है और सरकार खुलकर आयोग का बचाव कर रही है। यह लोकतंत्र और संविधान को खत्म करने और तानाशाही स्थापित करने की साजिश है। हम यह कतई नहीं होने देंगे।"


