राहुल गांधी भविष्यवाणी कर चुके हैं , मोदी सरकार को मनरेगा दोबारा बहाल करना होगा: सीडब्ल्यूसी बैठक में बोले खरगे
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दिए अपने वक्तव्य के अंश को साझा करते हुए मोदी सरकार पर लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकारों को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि देश इस समय ऐसे दौर से गुजर रहा है, जब चारों तरफ लोकतांत्रिक मूल्यों पर संकट छाया हुआ है और कांग्रेस को भविष्य की रणनीति इसी चुनौती के बीच तय करनी है

कांग्रेस सीडब्ल्यूसी बैठक: खरगे बोले- मनरेगा खत्म करना गरीबों पर 'क्रूर प्रहार', देशव्यापी आंदोलन की तैयारी
नई दिल्ली। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दिए अपने वक्तव्य के अंश को साझा करते हुए मोदी सरकार पर लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकारों को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि देश इस समय ऐसे दौर से गुजर रहा है, जब चारों तरफ लोकतांत्रिक मूल्यों पर संकट छाया हुआ है और कांग्रेस को भविष्य की रणनीति इसी चुनौती के बीच तय करनी है।
खरगे ने आरोप लगाया कि हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार ने मनरेगा (मनरेगा) को खत्म कर करोड़ों गरीब और कमजोर तबकों को बेसहारा बना दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम गरीबों के पेट पर लात मारने और उनकी पीठ में छूरा घोंपने जैसा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान करार देते हुए सोनिया गांधी के उस लेख का भी उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने मनरेगा को सर्वोदय की भावना को साकार करने वाला कदम बताया था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि 2 फरवरी 2006 को आंध्र प्रदेश के बंडलापल्ली में सोनिया गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह ने मनरेगा की शुरुआत की थी। यह योजना विश्व का सबसे बड़ा ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम बनी, जिसने ग्रामीण भारत का चेहरा बदला, पलायन रोका और गांवों को अकाल, भूख और शोषण से राहत दी। दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और भूमिहीन मजदूरों को इस योजना ने सम्मान और भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि आज भारत में गरीबी से बाहर निकली एक पूरी पीढ़ी मौजूद है, जो मनरेगा की बदौलत पढ़-लिखकर सम्मानजनक जीवन जी रही है।
खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन, मूल्यांकन या राज्यों और राजनीतिक दलों से सलाह-मशविरा किए मनरेगा को खत्म कर नया कानून थोप दिया, ठीक उसी तरह जैसे तीन काले कृषि कानूनों के मामले में किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की जरूरत है और कांग्रेस को इस मुद्दे पर हर कोने में संघर्ष करना होगा। 2015 में भूमि अधिग्रहण कानून और 2020 में तीन कृषि कानूनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के संघर्ष और किसानों के बलिदान के बाद ही सरकार को कानून वापस लेने पड़े। खरगे ने कहा कि राहुल गांधी पहले ही भविष्यवाणी कर चुके हैं कि मोदी सरकार को मनरेगा दोबारा बहाल करना होगा।
संगठनात्मक मुद्दों पर बोलते हुए खरगे ने बताया कि संगठन सृजन अभियान के तहत अब तक करीब 500 जिलों में नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति हो चुकी है और अगले 120 दिनों में शेष जिलों में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि संगठन को प्रदेश से लेकर बूथ स्तर तक सक्रिय, जवाबदेह और लड़ाकू बनाना होगा। साथ ही अप्रैल-मई 2026 में होने वाले असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी के चुनावों के लिए पूरी एकता के साथ तैयारी की जा रही है।
खरगे ने एसआईआर को लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करने की साजिश बताते हुए मतदाता सूची से गरीब, दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के नाम काटे जाने पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत के आरोप जगजाहिर हैं और कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना होगा कि वोटरों के नाम न कटें। इसके लिए बीएलए को घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच करनी होगी।
अपने संबोधन में खरगे ने ईडी, आईटी और सीबीआई के कथित दुरुपयोग, नेशनल हेराल्ड मामले, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और हाल में क्रिसमस के दौरान कुछ इलाकों में भाईचारा बिगाड़ने की घटनाओं पर भी चिंता जताई।
खरगे ने पार्टी नेताओं से मनरेगा और अन्य अहम मुद्दों पर ठोस एक्शन प्लान और सुझाव देने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई कांग्रेस जीतेगी, क्योंकि देश के कमजोर और जरूरतमंद लोग इस कठिन समय में कांग्रेस की ओर उम्मीद से देख रहे हैं।


