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संसद शीतकालीन सत्र : विपक्षी दलों ने सरकार पर साधा निशाना, एसआईआर के मुद्दे पर अड़े नेता

संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह संसद में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा चाहता है

संसद शीतकालीन सत्र : विपक्षी दलों ने सरकार पर साधा निशाना, एसआईआर के मुद्दे पर अड़े नेता
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संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष फिर एसआईआर पर चर्चा की मांग पर अड़ा

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह संसद में एसआईआर के मुद्दे पर चर्चा चाहता है।

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बचाना चाहते हैं। भारत का लोकतंत्र समझौते जैसी स्थिति में है। चुनाव आयोग पूरी प्रक्रिया में एक पार्टी बन गया है। हम चाहते हैं कि यह रुके। इसीलिए एसआईआर के मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। मैंने एक स्थगन प्रस्ताव भी दिया है।

समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा राज्य है और समाजवादी पार्टी वहां की सबसे बड़ी पार्टी है। 2024 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने राज्य में सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी चिंताओं को सुनेगी।

उन्होंने कहा, "हम किसानों, बेरोजगारों, मजदूरों, स्वास्थ्य-शिक्षा और कानून व्यवस्था की बात करेंगे। एसआईआर पर भी फिर चर्चा चाहते हैं।" सपा सांसद ने कहा कि हम जमीन पर काम करते हैं। हम जानते हैं कि कर्मचारियों के साथ-साथ जनता को भी परेशानी होती है।

नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश का भूगोल इस तरह है कि खेती और शादियों के कारण काम बढ़े हुए हैं। इसी बीच एसआईआर के कारण अफरातफरी है, जिस कारण कई लोगों की मौत हो चुकी है।

सीपीआई के सांसद पी. संदोष कुमार ने कहा, "हमने सर्वदलीय बैठक में कई अपनी चिंताएं बताईं। मुझे उम्मीद है कि सदन आसानी से चलेगा, बशर्ते सत्ता पक्ष और चेयर विपक्ष की आवाज पर ध्यान दें। अगर ऐसा होता है, तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हालांकि, यह संसदीय लोकतंत्र के पांच दशकों में सबसे छोटा सेशन होगा, इसलिए यह पक्का नहीं है कि क्या होगा।"

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा, "संसद सत्र जनता के विषय और जनता की आवाज उठाने के लिए होता है। यह लोकसभा स्पीकर, संसदीय कार्य मंत्री और सरकार की जिम्मेदारी है कि वे विपक्ष के मुद्दों को सदन में उठाने दें। सरकार को संसद सत्र में रुकावट नहीं डालनी चाहिए और विपक्ष को अपने मुद्दे उठाने देने चाहिए।"


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