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संसद : राज्यसभा सांसद गीता की सरकार से बड़ी मांग, "महिलाओं के घरेलू कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन हो और इसे जीडीपी में शामिल करें"

महिलाओं द्वारा घर में किए जा रहे कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं इस घरेलू कार्य की गणना देश के सकल घरेलू उत्पाद में भी जानी चाहिए। यानी देश की जीडीपी में भी इसके आर्थिक मूल्यांकन को सम्मिलित किया जाना चाहिए। सोमवार को यह महत्वपूर्ण विषय संसद में उठाया गया

संसद : राज्यसभा सांसद गीता की सरकार से बड़ी मांग, महिलाओं के घरेलू कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन हो और इसे जीडीपी में शामिल करें
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संसद में सरकार से मांग, महिलाओं के घरेलू काम का हो आर्थिक मूल्यांकन, जीडीपी में करें शामिल

नई दिल्ली। महिलाओं द्वारा घर में किए जा रहे कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं इस घरेलू कार्य की गणना देश के सकल घरेलू उत्पाद में भी जानी चाहिए। यानी देश की जीडीपी में भी इसके आर्थिक मूल्यांकन को सम्मिलित किया जाना चाहिए। सोमवार को यह महत्वपूर्ण विषय संसद में उठाया गया।

संसद में कहा गया कि महिलाओं द्वारा किए जाने वाले घरेलू कार्यों का आर्थिक आधार पर मूल्यांकन होना चाहिए। राज्यसभा सांसद गीता उर्फ चंद्रप्रभा ने यह विषय सदन के समक्ष रखा। राज्यसभा में विशेष उल्लेख के दौरान उत्तर प्रदेश से भाजपा की राज्यसभा सांसद गीता उर्फ चंद्रप्रभा ने कहा कि वह देश की मातृ शक्ति से संबंधित एक महत्वपूर्ण विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित करा रही हैं। यह विषय महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए अति आवश्यक है।

राज्यसभा सांसद ने सदन को बताया कि जब किसी गृहिणी (घर में रहने वाली महिला) से पूछा जाता है कि वह क्या करती हैं, तो उनका जवाब होता है कि वे कुछ नहीं करतीं, केवल घर का काम करती हैं। महिलाओं द्वारा घरों में किए जाने वाले कार्य को न तो कोई आधिकारिक दर्जा दिया जाता है और न ही इस महत्वपूर्ण कार्य का कोई आर्थिक मूल्यांकन ही किया जाता है। यह विषय सुनने में बेशक छोटा लग सकता है, लेकिन यदि हम महिलाओं द्वारा घर में किए जा रहे कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन करें, तो यह देश की जीडीपी से लेकर महिलाओं की सामाजिक स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकता है।

गीता उर्फ चंद्रप्रभा ने सदन को बताया कि आज देश की महिलाएं प्रतिदिन 5 से 8 घंटे घर के कार्यों में लगाती हैं। उन्होंने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि महिलाएं घरेलू कार्यों में प्रतिदिन अपने बहुमूल्य 5 से 8 घंटे दे रही हैं। महिलाओं द्वारा किए जा रहे घरेलू कार्यों के आर्थिक मूल्यांकन का अभाव है क्योंकि महिलाओं के इस अथक कार्य का आर्थिक मूल्यांकन ही नहीं होता है।

उन्होंने कहा कि यदि पुरुष बाहर जाकर पैसे कमाता है और परिवार के पोषण पर खर्च करता है, तो वहीं महिलाएं भी घर के कार्य के माध्यम से परिवार में योगदान देती हैं। लेकिन उनके इस योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

राज्यसभा सांसद गीता ने इस संबंध में सरकार से अनुरोध किया कि महिलाओं द्वारा किए जाने वाले इस घरेलू कार्य का आर्थिक मूल्यांकन करवाया जाना चाहिए। महिलाओं द्वारा घर में किए जाने वाले इस कार्य को आर्थिक श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए। यदि महिलाओं द्वारा किए जा रहे एक घरेलू कार्य का आर्थिक मूल्यांकन कर उसे सकल घरेलू उत्पाद में शामिल किया जाए, तो इससे एक जीडीपी के आंकड़ों में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव आएगा। इसके साथ ही महिलाओं द्वारा घरों में किए जाने वाले कार्य को आधिकारिक दर्जा मिलने पर उनकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन आएगा।

उन्होंने सरकार से यह मांग की कि इस विषय को ध्यान में रखते हुए महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कार्यों को आधिकारिक दर्जा प्रदान करें। महिलाओं द्वारा किए जाने वाले घरेलू कार्यों का आर्थिक मूल्यांकन किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा किया जाता है तो इससे महिला के सशक्तीकरण को बल मिलेगा।


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