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'जी राम जी' बिल को लेकर पप्पू यादव का दावा , बिल की वापसी के लिए होगा बड़ा आंदोलन, नहीं चलने देंगे संसद की कार्रवाई

पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने 'जी राम जी' बिल को लेकर दावा किया है कि इस बिल को वापस लेने के लिए किसान आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करने की जरूरत है और अंजाम कितना भी भयावह हो, सरकार को चलने नहीं दिया जाएगा

जी राम जी बिल को लेकर पप्पू यादव का दावा , बिल की वापसी के लिए होगा बड़ा आंदोलन, नहीं चलने देंगे संसद की कार्रवाई
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'जी राम जी' बिल की वापसी के लिए सडकों पर उतरेंगे, नहीं चलने देंगे संसद की कार्रवाई: पप्पू यादव

नई दिल्ली। पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने 'जी राम जी' बिल को लेकर दावा किया है कि इस बिल को वापस लेने के लिए किसान आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन करने की जरूरत है और अंजाम कितना भी भयावह हो, सरकार को चलने नहीं दिया जाएगा।

नई दिल्ली में सांसद पप्पू यादव ने समाचार एजेंसी से बातचीत की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के विचारों को बनाए रखने के लिए बिना किसी समझौते के लड़ाई लड़ने की जरूरत है। इस देश की संस्कृति और इतिहास से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। अगर कुछ भी संविधान के खिलाफ जाता है या लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ठीक नहीं है, तो हमें उसके खिलाफ लड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम सदन को नहीं चलने देंगे। हम अंजाम भुगतने को तैयार हैं।

सांसद पप्पू यादव ने कहा कि मनरेगा का मुद्दा आम गरीबों का मुद्दा है। मनरेगा की हत्या कर दी गई है, यह कैसे भुलाया जा सकता है। यह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि गरीबों के लिए सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने जो किया, वह आजीवन याद रहेगा। मनरेगा महात्मा गांधी से जुड़ा हुआ था। पप्पू यादव ने कहा कि राजीव गांधी के सपने पंचायती राज व्यवस्था को खत्म करने का काम किया है, गांधी के ग्राम स्वराज को खत्म किया गया है। गरीबों के अधिकार के लिए कांग्रेस ने जो बड़ी सोच लाई थी, आम आदमी के अधिकार को खत्म कर दिया गया है। इसीलिए उस अधिकार के लिए किसान आंदोलन से बड़े आंदोलन की जरूरत है। यह बिल तब तक वापस नहीं लिया जाएगा, जब तक हम सड़कों पर नहीं उतरेंगे।

बांग्लादेश में हिंदुओं की मॉब लिंचिंग पर पप्पू यादव ने कहा कि हमें समझ नहीं आता कि जिसे पाकिस्तान से लड़ने की ताकत नहीं है। जिस सरकार में अपने ही देश के अंदर की ताकतों से लड़ने की हिम्मत नहीं है। इस बीच, बांग्लादेश में पिछले छह महीनों से सनातन मान्यताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं और यह सरकार चुपचाप देखती रही है। आखिर कितनी हत्याओं के बाद कार्रवाई की जाएगी।


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