अजमेर दरगाह पर पीएम मोदी की चादर चढ़ाने पर रोक? , सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल
अजमेर जिले स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की है। इस याचिका में मांग की गई है कि अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री की ओर से हर साल चढ़ाई जाने वाली चादर की परंपरा पर तत्काल रोक लगाई जाए

अजमेर की दरगाह पर पीएम की चादर चढ़ाने पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल
नई दिल्ली। अजमेर जिले स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दाखिल की है। इस याचिका में मांग की गई है कि अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रधानमंत्री की ओर से हर साल चढ़ाई जाने वाली चादर की परंपरा पर तत्काल रोक लगाई जाए।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह मामला केवल परंपरा का नहीं, बल्कि धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिक पहचान और संवैधानिक मूल्यों से जुड़ा हुआ है। उनका कहना है कि जिस स्थान पर दरगाह स्थित है, वहां पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था। ऐसे में सरकारी या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा चादर चढ़ाना उचित नहीं है। इसी आधार पर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
इस मुद्दे को लेकर अजमेर सिविल अदालत में पहले से ही मामला विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स के दौरान प्रधानमंत्री की ओर से चादर चढ़ाने की परंपरा को चुनौती दी गई थी। इस याचिका पर गुरुवार को अजमेर की अदालत में सुनवाई हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फिलहाल कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी तय की है।
अब विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह द्वारा सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई है। हालांकि अभी तक मामले की सुनवाई को लेकर कोई तारीख सामने नहीं आई है।
हर साल देश के प्रधानमंत्री और कई अन्य नेताओं के जरिए उर्स के दौरान अजमेर की दरगाह में चादर चढ़ाई जाती है। इस बीच केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू सोमवार को अजमेर पहुंचेंगे और उर्स कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस दौरान अल्पसंख्यक मंत्रालय की ओर से चादर पेश की जाएगी।


