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संसद में तमिलनाडु के सांसद ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग की, बोले- 'गैस चैंबर' में बदली राजधानी

दिल्ली-एनसीआर भीषण वायु प्रदूषण की चपेट में है। हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 461 तक पहुंच गया है, जिसे 'सीवियर प्लस' श्रेणी में रखा गया है। यह स्तर मनुष्य के लिए खतरा माना जाता है। हालात की गंभीरता को देखते हुए तमिलनाडु के कन्याकुमारी लोकसभा क्षेत्र से सांसद विजय कुमार उर्फ विजय वसंत ने संसद में स्थगन प्रस्ताव के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग की है

संसद में तमिलनाडु के सांसद ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग की, बोले- गैस चैंबर में बदली राजधानी
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दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण पर कन्याकुमारी के सांसद ने की राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर भीषण वायु प्रदूषण की चपेट में है। हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 461 तक पहुंच गया है, जिसे 'सीवियर प्लस' श्रेणी में रखा गया है। यह स्तर मनुष्य के लिए खतरा माना जाता है। हालात की गंभीरता को देखते हुए तमिलनाडु के कन्याकुमारी लोकसभा क्षेत्र से सांसद विजय कुमार उर्फ विजय वसंत ने संसद में स्थगन प्रस्ताव के जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग की है।

दिल्ली की स्थिति पर चिंता जताते हुए सांसद विजय वसंत ने कहा कि राजधानी एक तरह से 'गैस चैंबर' में बदल चुकी है, जहां करोड़ों लोग जहरीली हवा सांस लेने को मजबूर हैं। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर पड़ रहा है। सांस लेना तक मुश्किल हो गया है और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएएक्यूएम) की रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों की खराब हालत, धूल नियंत्रण में नाकामी और कचरा प्रबंधन में भारी चूक हो रही है। कई इलाकों में धूल से भरी सड़कें, निर्माण कार्यों का मलबा, खुले में पड़ा कचरा और कचरा जलाने की घटनाएं बिना रोक-टोक जारी है, जिससे प्रदूषण और बढ़ रहा है।

दिल्ली-एनसीआर के अस्पतालों में पिछले दो दिनों में सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में करीब 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डॉक्टरों का कहना है कि हालात अब केवल पर्यावरण की समस्या नहीं रह गए हैं, बल्कि यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुके हैं।

सांसद विजय वसंत ने इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का सीधा उल्लंघन बताया। उन्होंने सरकार से तुरंत राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने, आपात स्वास्थ्य उपाय लागू करने, गैर-जरूरी प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने और जिम्मेदारी तय करने की मांग की।

उन्होंने विपक्ष के नेता को भी इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति देने की मांग की और कहा कि यह कोई सामान्य मौसमी समस्या नहीं, बल्कि जानलेवा संकट है, जिसके लिए तुरंत और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कार्रवाई की जरूरत है।


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