Top
Begin typing your search above and press return to search.

फैक्ट चेक : ईसीआई की राहुल गांधी को दो टूक, शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर राष्ट्र से माफी मांगें

लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से पांच सवाल किए

फैक्ट चेक : ईसीआई की राहुल गांधी को दो टूक, शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें या फिर राष्ट्र से माफी मांगें
X

नई दिल्ली। लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से पांच सवाल किए। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने उनके सवालों का जवाब दिया। साथ ही ईसीआई फैक्ट चेक ने राहुल गांधी के बयान को भ्रामक बताया।

चुनाव आयोग फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर कहा कि मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट उपलब्ध कराने की कांग्रेस की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने 'कमलनाथ बनाम चुनाव आयोग, 2019' में खारिज कर दिया था। कोई भी पीड़ित उम्मीदवार 45 दिनों के भीतर संबंधित हाई कोर्ट में अपने निर्वाचन को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका (ईपी) दायर कर सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर ईपी दायर की जाती है तो सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखी जाती है। अन्यथा, इसका कोई उद्देश्य नहीं है, जब तक कि कोई मतदाता की गोपनीयता भंग करने का इरादा न रखता हो। उदाहरण के लिए, 1 लाख मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा में 1 लाख दिन लगेंगे, यानी लगभग 273 साल, और इसका कोई कानूनी नतीजा निकलना संभव नहीं है।

ईसीआई फैक्ट चेक ने कहा कि लोकसभा 2024 में वोटर लिस्ट तैयार करने के दौरान आरपी अधिनियम 1950 की धारा 24 के तहत सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस द्वारा शायद ही कोई अपील दायर की गई हो। राहुल गांधी द्वारा ऐसे कई आरोप लगाए जा रहे हैं और मीडिया द्वारा रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जबकि उन्होंने कभी कोई लिखित शिकायत प्रस्तुत नहीं की है। अतीत में भी उन्होंने कभी व्यक्तिगत रूप से स्व-हस्ताक्षरित पत्र नहीं भेजा है।

उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए उन्होंने दिसंबर 2024 में महाराष्ट्र का मुद्दा उठाया। इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वकील ने ईसीआई को पत्र लिखा। हमारा उत्तर 24 दिसंबर 2024 को ईसीआई की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। फिर भी राहुल गांधी का दावा है कि चुनाव आयोग ने कभी जवाब नहीं दिया।

चुनाव आयोग फैक्ट चेक ने आगे कहा कि यदि राहुल गांधी अपने विश्लेषण पर विश्वास करते हैं और मानते हैं कि चुनाव कर्मचारियों के विरुद्ध उनके आरोप सत्य हैं, तो उन्हें मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(ख) के अनुसार विशिष्ट मतदाताओं के विरुद्ध दावे और आपत्तियां प्रस्तुत करने एवं घोषणा या शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। अगर राहुल गांधी घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं करते हैं, तो इसका अर्थ होगा कि उन्हें अपने विश्लेषण और परिणामी निष्कर्षों पर विश्वास नहीं है और वे बेतुके आरोप लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें राष्ट्र से क्षमा याचना करनी चाहिए।

इससे पहले कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से 5 सवाल किए थे। पहला- विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं मिल रही? क्या छिपा रहे हो? दूसरा- सीसीटीवी और वीडियो सबूत मिटाए जा रहे हैं, क्यों? किसके कहने पर? तीसरा- फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की गई, क्यों? चौथा- विपक्षी नेताओं को धमकाना, डराना, क्यों? पांचवां- साफ-साफ बताओ, क्या ईसीआई अब भाजपा का एजेंट बन चुका है?

साथ ही उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र बेशकीमती है; इसकी चोरी का अंजाम बहुत भयानक होगा। अब जनता बोल रही है, बहुत हुआ।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it