वोट चोरी कहना संविधान का अपमान: चुनाव आयोग
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वोटर फ्रॉड संबंधी आरोपों पर चुनाव आयोग का जवाब आया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आयोग ने कहा कि उसके लिए ना कोई पक्ष है, ना विपक्ष, सब समकक्ष हैं

भारतीय चुनाव आयोग ने नेता विपक्ष राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जवाब दिया
भारतीय चुनाव आयोग ने नेता विपक्ष राहुल गांधी के "वोट चोरी" के आरोपों पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जवाब दिया. आयोग ने कहा कि उसके लिए कोई पक्ष-विपक्ष नहीं, सभी बराबर हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के वोटर फ्रॉड संबंधी आरोपों पर चुनाव आयोग का जवाब आया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके आयोग ने कहा कि उसके लिए ना कोई पक्ष है, ना विपक्ष, सब समकक्ष हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि सभी दल मतदाता सूची में सुधार की मांग करते रहे हैं. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि उन्हें जो मतदाता सूची का प्रारूप दिया गया है, अगर उसमें त्रुटियां हों तो उसकी जानकारी दें. उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि आयोग के दरवाजे सबके लिए हमेशा समान रूप से खुले हैं.
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"चुनाव आयोग की साख पर कोई प्रश्नचिह्न नहीं"
राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि ना तो चुनाव आयोग की साख पर कोई प्रश्नचिह्न खड़ा हो सकता है, ना मतदाताओं की साख पर. उन्होंने आरोप भी लगाया कि वोट चोरी जैसे शब्द इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.
ज्ञानेश कुमार ने कहा, "अगर समय रहते मतदाता सूचियों में त्रुटियां साझा ना की जाएं, मतदाता द्वारा अपना प्रत्याशी चुनने के 45 दिनों के भीतर माननीय उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर ना की जाए, और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास किया जाए, तो यह भारत के संविधान का अपमान नहीं तो और क्या है?" मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह सवाल भी उठाया कि इतनी पारदर्शी चुनावी प्रक्रिया में वोट चोरी कैसे हो सकती है.
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोटर फ्रॉड के आरोप लगाए थे. अब इसी का जवाब देते हुए आयोग ने कहा कि वह झूठे आरोपों से नहीं डरता है और सभी मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है.
आयोग ने यह आपत्ति भी उठाई कि वोटर फ्रॉड के आरोपों के अंतर्गत जिन मतदाताओं की तस्वीर साझा की गई थी, उनके वोटर आईकार्ड मीडिया से साझा किए गए थे, उनकी अनुमति नहीं ली गई थी. इस संदर्भ में उन्होंने कहा, "क्या अपनी माताओं, बहुओं, बेटियों सहित किसी भी मतदाता की सीसीटीवी विडियो चुनाव आयोग को साझा करनी चाहिए क्या?"
वोटर डुप्लिकेसी और मशीन रीडेबल लिस्ट पर क्या कहा?
मशीन द्वारा पढ़ी जा सकने और सर्च की जा सकने वाली मतदाता सूची पर पूछे गए सवाल के जवाब में ज्ञानेश कुमार ने कहा, "मशीन रीडेबल इलेक्टोरल रोल देने से वोटर की प्राइवेसी का हनन हो सकता है. कंप्यूटर पर सूची आ गई, तो फोटो उठाकर दूसरी जगह भी डाल सकते हैं. एक व्यक्ति की फोटो दूसरी जगह डाल दी और पलट दी, तो वो वोट ही नहीं कर पाएगा क्योंकि वो वोट करने जाएगा तो उसका चेहरा नहीं मिलेगा. मशीन रीडेबल अलग चीज है. ये वर्जित है." उन्होंने कहा कि ये ये चुनाव आयोग का नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उठाया गया कदम है.
एक ही व्यक्ति के कई एपिक नंबर होने के सवाल पर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि पहले कहीं नई जगह जाने पर, पुराने आवास पर बना हुआ वोटर कार्ड हटवाने के लिए जरूरी तकनीकी सुविधा नहीं थी. ऐसे में कई लोग जब माइग्रेट करते-करते कई जगहों पर गए, तो पुरानी जगह पर नाम नहीं कटा. उन्होंने कहा, "2003 से पहले अगर आपको पुरानी जगह से नाम कटवाना है, तो चुनाव आयोग की कोई वेबसाइट नहीं थी जिसमें एक ही जगह सारा डेटा हो."
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मुख्य चुनाव आयुक्त ने उदाहरण देते हुए कहा, "जब ये विषय आया कि एक ही व्यक्ति और उसके कई एपिक नंबर हैं, तो हमने तहकीकात की. यह समझ आया कि एक व्यक्ति जब गांव में रहता था, तो वहां उसका एक जगह नाम था. फिर वो शहर में आया, फिर वो चलते-चलते दिल्ली या बंबई पहुंच गया और उसने अपना पुराना नंबर डिलीट नहीं करवाया."
अब तकनीकी सुविधा होने पर भी वोटर डुप्लिकेसी क्यों है? इसपर उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा होता है. अगर किसी के कहने से मैं आपका वोट काट दूं, या किसी के कहने से मैं ये मानूं कि पीयूष जी के नाम के हजारों लोग मिलेंगे, कौन से पीयूष जी का नाम काटा जाए?"
यहां पीयूष नाम उदाहरण के तौर पर दिया गया, यह रेखांकित करते हुए कि देश में एक नाम वाले कई लोग हैं. उन्होंने कहा, "कौन से पीयूष जी दो हैं? अगर इसे जल्दबाजी में किया जाए, तो किसी भी मतदाता का नाम गलत कट सकता है."
बिहार में वोटर रिवीजन पर उठ रहे सवालों पर क्या कहा?
विपक्ष लगातार बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण पर सवाल उठा रहा है. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बना रहा है. कांग्रेस बिहार से ही कथित "वोट चोरी" के खिलाफ एक यात्रा शुरू कर रही है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त से सवाल पूछा गया कि एसआईआर प्रक्रिया में हड़बड़ी क्यों दिखाई जा रही है. इसपर उन्होंने कहा कि ये भ्रम फैलाया जा रहा है.
ज्ञानेश कुमार ने सवाल किया, "आप लोग बताएं कि चुनाव से पहले सूची शुद्ध करें या चुनाव के बाद? लोकप्रतिनिथि कानून कह रहा है कि हर चुनाव से पहले आपको मतदाता सूची शुद्ध करनी होगी. ये चुनाव आयोग का कानूनी दायित्व है, फिर ये बात आई कि सात करोड़ से ज्यादा बिहार के मतदाताओं तक क्या चुनाव आयोग पहुंच पाएगा, हकीकत आपके सामने है."


