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दिल्ली विश्वविद्यालय : एससी, एसटी के छात्रों से एडमिशन व ट्यूशन फीस न लिए जाने की मांग

फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह से एडमिशन के समय एससी, एसटी के छात्रों से एडमिशन व ट्यूशन फीस न लिए जाने की मांग की है

दिल्ली विश्वविद्यालय : एससी, एसटी के छात्रों से एडमिशन व ट्यूशन फीस न लिए जाने की मांग
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नई दिल्ली। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश कुमार सिंह से एडमिशन के समय एससी, एसटी के छात्रों से एडमिशन व ट्यूशन फीस न लिए जाने की मांग की है। फोरम के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद ने 12 जून 1981 को दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के उन छात्रों की ट्यूशन फीस, दाखिला फीस एवं अन्य फीस में छूट देने का निर्णय लिया था, जिनके अभिभावक आयकरदाता की श्रेणी में नहीं आते, इसके बावजूद इस नियम का पालन एडमिशन के समय कोई भी कॉलेज नहीं करता है।

सभी ऐसे छात्रों से ट्यूशन फीस, दाखिला फीस आदि चार्ज करते हैं। कॉलेजों में बनी स्पेशल सेल, ग्रीवेंस कमेटी केवल खानापूर्ति के लिए बनी है, उनके हितों में कोई काम नहीं कर रही हैं। उन्होंने यह भी मांग की है कि कॉलेजों से पिछले पांच वर्षो के आंकड़े मंगवाए जाएं कि कितने कॉलेजों ने एससी एसटी के छात्रों की एडमिशन फीस व ट्यूशन फीस माफ की है।

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की सन् 1981 की विद्वत परिषद का यह निर्णय कुछ वर्षो तक कॉलेजों व विभागों ने अपने यहां लागू किया, लेकिन बाद में यह योजना बंद सी हो गई। कॉलेजों ने इस योजना को कब बंद किया, क्यों किया या इस योजना के अंतर्गत इसका लाभ छात्रों द्वारा नहीं उठाया जा रहा है, इसकी कोई सूचना कॉलेजों व विभागों ने विश्वविद्यालय को नहीं दी।

डॉ. सुमन ने बताया है कि एससी एसटी के छात्रों को एडमिशन फीस, ट्यूशन फीस संबंधी एक सर्कुलर दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्पेशल सेल ने 9 सितंबर,2015 को भी सभी विभागों के अध्यक्षों, कॉलेजों के प्राचार्यो व संकायों के डीन को भेजा था, लेकिन पिछले सात साल से इस पत्र को कोई भी कॉलेज गंभीरता से नहीं लेता है और हर शैक्षिक सत्र में उनसे प्रवेश के समय फीस व अन्य चार्ज लिए जाते हैं।

अब डीयू के कुलपति को पत्र लिखकर यह मांग की गई है कि जिस तरह 9 सितंबर 2015 व उसके बाद 15 जून 2018 को कॉलेजों को पत्र भेजा गया था, ठीक उसी प्रकार शैक्षिक सत्र 2022-23 में इस विषय पर सर्कुलर जारी किया जाए, जिससे छात्रों को लाभ मिल सकेगा।


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