सरकार को स्वीकार नहीं न्यायालय का फैसला
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि केंद्र की राजग सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति 1989कानून, को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है

हैदराबाद। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निरोधक कानून) 1989 कानून, को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा, उच्चतम न्यायालय को अधिकार नहीं है कि वह इस कानून में बाधा पहुंचाए क्योंकि यह 1989 में संसद से पारित हुआ था। उन्होंने कहा कि वह इस पर भी सहमत नहीं हैं कि अत्याचार के 90 प्रतिशत मामले झूठे होते हैं। कुछ मामले झूठे हो सकते हैं लेकिन बहुत से मामले सही भी होते हैं। पिछले साल अत्याचार के 27,000 मामले दर्ज किए गए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तेलंगाना में पिछले चार वर्षों के दौरान अत्याचार के 7,634 मामले (जुलाई 2018 तक) दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि इन मामलों में मात्र 10 प्रतिशत लोगों को ही सजा हो पाई।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च के अपने फैसले में, अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों का अपमान या मारपीट करने वाले आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायालय का कहना था कि इसका मतलब बेगुनाहों को मनमानी गिरफ्तारी से बचाना है न कि दलित अधिकारों का हनन करना।
सरकार लाएगी अध्यादेश
श्री अठावले ने कहा कि केंद्र की राजग सरकार इस मामले में एक अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है। सरकार किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है और देश में सभी समुदाय का समर्थन करती है। राजग सरकार अत्याचार निरोधक कानून की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर रही है। अनुसूचित जाति/ जनजाति के लिए पदोन्नति में आरक्षण पर कानून बनाने को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री और कानून मंत्री से चर्चा की है।


