सरकार वित्तीय अनुशासन पालन करने में पूरी तरह नाकाम रही: विपक्ष
विपक्ष ने आज आरोप लगाया कि तमाम बड़े दावों और आर्थिक बदलावों के बावजूद सरकार वित्तीय अनुशासन पालन करने में पूरी तरह नाकाम रही है।

नयी दिल्ली। विपक्ष ने आज आरोप लगाया कि तमाम बड़े दावों और आर्थिक बदलावों के बावजूद सरकार वित्तीय अनुशासन पालन करने में पूरी तरह नाकाम रही है।
लोकसभा में आज दीवाला और रिण शोधन अक्षमता (संशाेधन) विधेयक 2017 पर चर्चा में भाग लेते हुए रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक में दीवालियापन के लिए आवेदन करने वाली कपंनियों की योग्यता तय करने का अधिकार ‘इनसाल्वेंट प्रोफेशनल्स’ को देने के प्रावधानों को असंगत और त्रुटिपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि इससे कंपनियों का भला नहीं होगा उल्टे भाई -भतीजावाद और भ्रष्टाचार बढ़ेगा। सरकार को चाहिए कि वह कंपनियों के आवेदन की योग्यता का निर्णय लेने की व्यवस्था खुद करे।
उन्हाेंने एक साल पहले पारित किए गए इस कानून में संशोधन के वास्ते 23 नवंबर को अध्यादेश लाए जाने को संविधान के अनुच्छेद123 का खुला उल्लंघन करार देते हुए कहा कि जब सिर्फ तीन सप्ताह बाद संसद का शीतकालीन सत्र शुरु हो रहा था तो अध्यादेश लाने की ऐसी क्या हड़बड़ी हो गयी थी। उन्होंने विधेयक में दीवाला घोषित होने वाली कंपनियों के कर्मचारियों के रोजगार की सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं होने पर भी आपत्ति उठायी।
कांग्रेस के के वी थॉमस ने कहा कि सरकार वित्तीय सुधाराें के नाम पर हड़बड़ी में ऐसे कदम उठा रही है जो अर्थव्यवस्था का भला करने की बजाए उसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि सरकार नोटबंदी लेकर आयी और कहा कि दिसंबर 2016 तक सब ठीक हो जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। फिर वस्तु एंव सेवा कर लेकर आयी अब उसमें बार बार संशोधन कर रही है। यही हाल इस विधेयक का भी है पहले विधेयक आया फिर उसमें संशेाधन के लिए अध्यादेश लेकिन इससे भी कुछ होने वाला नहीं है।
सरकार का वित्तीय अनुशासन फेल हो रहा है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको की गैर निष्पादित परिसपंतियां खतरनाक स्तर पर पहुंच गयी हैं। मंहगायी आसमान छू रही है। उपभोक्ता और किसान सब बदहाल हो रहे हैं।


