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भीमा-कोरेगांव मामला राजनीतिक असहमति के खिलाफ एक राजनीतिक चाल है: गौतम नवलखा

 जनवरी में हुए भीमा-कोरेगांव दंगों के संबंध में गिरफ्तार पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने आज कहा कि यह पूरा मामला इस कायर और प्रतिशोधी सरकार की राजनीतिक असहमति के खिलाफ एक राजनीतिक चाल

भीमा-कोरेगांव मामला राजनीतिक असहमति के खिलाफ एक राजनीतिक चाल है: गौतम नवलखा
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नई दिल्ली। जनवरी में हुए भीमा-कोरेगांव दंगों के संबंध में गिरफ्तार पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने आज कहा कि यह पूरा मामला इस कायर और प्रतिशोधी सरकार की राजनीतिक असहमति के खिलाफ एक राजनीतिक चाल है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि सरकार महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव दंगों के असली अपराधियों को बचाना चाहती है और इसीलिए उसने कश्मीर से केरल तक अपनी असफलताओं और घोटालों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है।

नवलखा ने कहा, "राजनीतिक लड़ाई राजनीतिक तरीके से लड़ी जानी चाहिए और मैं इस अवसर का स्वागत करता हूं। मेरा कुछ भी लेना-देना नहीं है। यह तो महाराष्ट्र पुलिस है, जो अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम कर रही है, और मेरे और मेरे गिरफ्तार अन्य साथियों के खिलाफ अपने मामले साबित करने की कोशिश कर रही है।"

उन्होंने कहा, "'पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स' (पीयूडीआर) में हम लोग 40 वर्षो से भी अधिक समय से एकजुट और निडर होकर लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और इसके हिस्से के तौर पर मैंने ऐसे कई मामलों को कवर किया है। अब मैं खुद एक राजनीतिक लड़ाई का सामना करूंगा।"

नवलखा और चार अन्य नक्सल समर्थकों को 31 दिसंबर को पुणे में जनसभा आयोजित करने के मामले में पुणे पुलिस ने कई शहरों में छापे मारने के बाद गिरफ्तार किया है, जिसमें क्रांतिकारी कवि वरवर राव भी शामिल हैं। जनसभा के अगले दिन पुणे से 60 किलोमीटर दूर कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई थी।

इस दौरान एक अन्य गिरफ्तार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को मंगलवार रात हरियाणा में फरीदाबाद के सेक्टर 15ए स्थित मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) के आवास पर ले जाया गया।

भारद्वाज के सहयोगी ने कहा, "इलाके में सड़क पर बहुत अंधेरा था और सीजेएम आवास पर बाहर सड़क पर उनके वकील को अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया।"

वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने सीजेएम से उन्हें सही तरीके से पक्ष रखने देने का आग्रह किया, क्योंकि रास्ते में कोई दस्तावेज दिखा पाना उनके लिए संभव नहीं था।

उन्होंने कहा कि इसके बाद सीजेएम ने उन्हें अपने आवास के अंदर बुलाया, जहां उन्होंने कहा कि कुछ आवेदन प्रस्तुत करने की जरूरत है।

दंडाधिकारी ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि भारद्वाज के मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कुछ आदेश पारित किए हैं और देर रात तक सुनवाई होती रही।

सुनवाई चल रही थी, और भारद्वाज को दंडाधिकारी के आवास के बाहर एक वाहन में हिरासत में रखा गया था।


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