राहुल गांधी के नाम खुला खत
आप खुद इस बात पर विचार करिए कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने में आपकी विराट भूमिका राहुल गांधी द यूट्यूबर की भूमिका में पेश करने वाले लोग क्या एक अलग किस्म का खेल कर रहे हैं

- सर्वमित्रा सुरजन
आप खुद इस बात पर विचार करिए कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने में आपकी विराट भूमिका राहुल गांधी द यूट्यूबर की भूमिका में पेश करने वाले लोग क्या एक अलग किस्म का खेल कर रहे हैं। बेशक जनप्रतिनिधि को जनता के असली हाल मालूम होना चाहिए। लेकिन इस बात की गारंटी कौन लेगा कि जिन लोगों के साथ आपकी चर्चाएं करवाई जाती हैं, वे सारी बातें सच ही कहते हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि ये बातें स्क्रिप्टेड हों और आपके सामने इसे अलग तरह से पेश किया जा रहा हो।
प्रिय राहुल जी,
यह देखकर अच्छा लगा कि आप एक बार फिर अपने संसदीय क्षेत्र पहुंच गए हैं। सांसद यदि अपने निर्वाचन क्षेत्र में जितना अधिक वक्त बिताएंगे, उतने करीब से लोगों की समस्याओं और उम्मीदों को समझ पाएंगे। आप पांचवीं बार सांसद बने हैं, इसलिए बेहतर समझते हैं कि किसी उम्मीदवार को जब लाखों लोग वोट देकर संसद तक पहुंचाते हैं, तो वो महज वोट नहीं होते, उन लाखों लोगों के लिए बेहतर भविष्य की बंद पोटली होती है, जिसे खोलना या बंद रखना सांसद पर निर्भर करता है। और राहुल आप इस बार केवल सांसद नहीं हैं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। आपने इस बार की लोकसभा में खुलकर कहा है कि विपक्ष जनता की आवाज़ उठाएगा। कहने की जरूरत नहीं कि इस काम को आप बखूबी कर रहे हैं। संसद में आपके तमाम भाषण जनआकांक्षाओं का ही दर्पण दिखा रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष बनने से पहले आपने दो बार में पूरा भारत नाप लिया। उसके अलावा भी आपकी यात्राएं चलती रहती हैं। अभी बिहार में आपकी वोटर अधिकार यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हुई। इन यात्राओं में अलग-अलग तबकों के लोगों से आपकी अलग मुलाकात कराई जाती है। उनसे बातचीत के वीडियो आप के यू ट्यूब चैनल पर आते हैं। आठ-दस लोग बैठे हैं, आपको कभी राहुल, कभी भैया, कभी सर का संबोधन देकर खुलकर बात कर रहे हैं। बता रहे हैं कि मौजूदा राजनीति में कौन सी कमियां उन्हें खटक रही हैं, सरकार की नीतियां किस तरह उद्योगपतियों का पोषण कर रही हैं और गरीबों के हक मार रही हैं। वीडियो बनाने के बाद आपके साथ फोटो खिंचवाई जाती है, जिसे लोग अपने-अपने सोशल मीडिया एकाऊंट पर पोस्ट कर यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी से वे कितना नजदीक हैं। अभी 7 सितंबर को ही भारत जोड़ो यात्रा की तीसरी सालगिरह पर कई लोगों ने आपके साथ चलते हुए बात करने की अपनी-अपनी तस्वीरें लगवाईं, कुछ लाइक्स और कमेंट हासिल किए। इन सबसे अपनी जान-पहचान के लोगों में तो उनका ओहदा या रुतबा थोड़ा और बढ़ गया, लेकिन बदले में कांग्रेस को क्या हासिल हुआ, क्या इसका विश्लेषण आपकी टीम ने कभी किया है। दर्जनों वीडियो राहुल गांधी यूट्यूब चैनल पर आ चुके हैं, मगर इनसे क्या कांग्रेस के सत्ता में आने के मौके मजबूत हुए हैं, इसकी पड़ताल भी होनी चाहिए।
आप खुद इस बात पर विचार करिए कि लोकतंत्र और संविधान को बचाने में आपकी विराट भूमिका राहुल गांधी द यूट्यूबर की भूमिका में पेश करने वाले लोग क्या एक अलग किस्म का खेल कर रहे हैं। बेशक जनप्रतिनिधि को जनता के असली हाल मालूम होना चाहिए। लेकिन इस बात की गारंटी कौन लेगा कि जिन लोगों के साथ आपकी चर्चाएं करवाई जाती हैं, वे सारी बातें सच ही कहते हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि ये बातें स्क्रिप्टेड हों और आपके सामने इसे अलग तरह से पेश किया जा रहा हो। और मान लें, जो कुछ बातें आप के सामने आती हैं, वे सच हों, तब भी केवल शिकायत सुनने या करने से हासिल क्या होगा। बदलाव तो तभी होगा, जब कांग्रेस या आज का इंडिया गठबंधन सत्ता में आए। इसके लिए आपकी टीम क्या काम कर रही है, ये भी आप ही को देखना होगा।
वोट चोरी का मसला हो, चुनाव में धांधली या किसी अन्य किस्म की अनियमितता, राहुल आप अक्सर ये कहते हैं कि हम जब सत्ता में आएंगे तो किसी को छोड़ेंगे नहीं। तो सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि राहुल आप या आपके साथी सत्ता में कब और कैसे आएंगे। इसके लिए कौन सी तैयारी आप कर रहे हैं। तेलंगाना में आपकी जीत हुई, क्योंकि वहां रेवंत रेड्डी ने जमीनी स्तर पर काम किया। कर्नाटक में भी डी के शिवकुमार और सिद्धारमैया की मजबूत पकड़ के कारण ऐसा संभव हुआ। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी हुई है, लेकिन वहां के अंतर्विरोध किसी से छिपे नहीं हैं। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, गोवा, सब कांग्रेस ने अपनी कमजोरियों से गंवाए। फिर भी अब तक घर के भेदियों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
अभी मंगलवार 9 सितंबर को सीपी राधाकृष्णन भारत के अगले उप-राष्ट्रपति चुन लिए गए। इसके साथ ही अब देश में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री समेत कई अहम पदों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े लोग काबिज हो चुके हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू संघ से निर्देशित संगठन राष्ट्रसेविका समिति से जुड़ी रही हैं। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह,ओम बिड़ला, नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, धर्मेन्द्र प्रधान, मनोहर लाल खट्टर केबिनेट के सारे सदस्य संघ की पृष्ठभूमि से हैं। विष्णुदेव साय, मोहन चरण मांझी, भजन लाल शर्मा, पुष्कर धामी ये सारे मुख्यमंत्री संघ से जुड़े रहे हैं। राज्यपालों में भी ओम माथुर, राजेन्द्र अर्लेकर, शिवप्रताप शुक्ल इनका जुड़ाव संघ से रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष है, एक वफादार संघ कार्यकर्ता होने के नाते नरेन्द्र मोदी इससे बेहतर तोहफा और क्या दे सकते थे। बस अब यही कसर बाकी रह गई है कि संविधान खत्म हो और भारत पूरी तरह हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। जिस संगठन ने खुद को कभी राजनैतिक संगठन न कहकर हमेशा सांस्कृतिक संगठन कहा, उसके हाथ में देश की पूरी कमान हो, शासन-प्रशासन पर उसी का पूरा नियंत्रण हो, ऐसी मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलेगी। हिटलरकालीन जर्मनी में भी सत्ता और प्रशासन पर नाजीवादी लोग बिठा दिए गए थे, लेकिन हिटलर ने कभी अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को नहीं छिपाया, न ही फासिस्ट ताकतों ने खुद को जर्मनी की सियासत से अलग किया।
राहुल कृपया ध्यान दीजिए कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को यह उपलब्धि भले ही नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में हासिल हुई हो, लेकिन इसका सारा श्रेय अकेले श्री मोदी को नहीं दिया जा सकता। इसके लिए संघ के लोगों ने बीते सौ सालों से अथक परिश्रम तो किया ही, उनके परिश्रम को वांछित फल कांग्रेस समेत कई अन्य दलों के कारण मिला। आम आदमी पार्टी के तो कहने ही क्या, जिस अन्ना आंदोलन से यह पार्टी निकली और अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला, वह पूरा आंदोलन तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ही देन है। अब इसमें हैरानी भी नहीं होती कि यह आंदोलन यूपीए सरकार के खिलाफ खड़ा हुआ और संघ के षड्यंत्र को समझते हुए भी इसे खाद-पानी देकर बढ़ाया गया।
दिवंगत डा. मनमोहन सिंह अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ थे, लेकिन सियासी दांव-पेंच उनकी विशेषज्ञता से परे थी। आपकी मां सोनिया गांधी इन चालों को बखूबी समझती हैं, क्योंकि पहले इंदिरा गांधी, फिर राजीव गांधी की सोहबत में और उसके बाद खुद राजनीति में सक्रिय होने के बाद उन्होंने पहचानना सीख लिया कि कौन खुलकर संघ से जुड़ा है, किसने मुखौटा लगाकर संघ का साथ दिया है। लेकिन वे भी इन मुखौटों के पीछे के असली चेहरों को सामने नहीं ला पाईं। पर राहुल अभी समझ नहीं आ रहा है कि आपने ऐसे चेहरों को कितना पहचाना है। नेहरूजी की तरह आपने भी आरएसएस के लिए जरा सी मुरव्वत कभी नहीं दिखाई। शायद इसलिए भाजपा के लिए आप सबसे बड़े शत्रु बन चुके हैं। आप चाहे जितनी शालीनता, सौम्यता, नैतिकता के साथ राजनीति करें, भाजपा किसी भी हद तक गिरेगी, यह मानकर चलिए।
आपकी विदेश यात्राओं से लेकर हरेक बात पर जो खुफिया निगाहें पीछा करती रहती हैं, उन्हें अब हल्के में आपको नहीं लेना चाहिए। अभी रायबरेली के दौरे पर आपका काफिला रोकने की कोशिश हुई। श्री मोदी की स्वर्गीय मां के अपमान पर आपका विरोध हो रहा है। आप भी यह जानते हैं कि आपके विरोध और छवि खराब करने के लिए कोई न कोई बहाना तो भाजपा के पास हमेशा तैयार रहेगा। लेकिन ये सिलसिला कब तक चलेगा, इस पर भी विचार करना होगा। भाजपा का एक वार हो फिर कांग्रेस की तरफ से चंद लोग ट्वीट कर पलटवार करें, या बदले में मोदी-शाह पर सवाल उठाएं, इससे कुछ बदलने वाला नहीं है। असली बदलाव सत्ता हासिल करने से ही होगा। जिसमें फिलहाल आपकी मेहनत सौ प्रतिशत से ज्यादा है, लेकिन उस पर बार-बार पानी फेरा जा रहा है।
आपने आम अवाम की तकलीफों को सुना और समझा है। धान रोपकर, जूते सिलकर, सिर पर बोझा ढोकर देख भी लिया। लेकिन ये सब करके भी आप उनके हालात नहीं बदल सकते। जिस मेहनतकश के दर्द को आपने महसूस किया है, उसे दूर करने का एकमात्र उपाय ये है कि आप सत्ता में आएं और उनके लिए बेहतर नीतियां बनाएं। इसके लिए आपको कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ लगातार बैठकें करनी चाहिए। मीडिया मालिकों की सच्चाई आप जानते हैं, लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस नेताओं के साथ उन पत्रकारों की सांठ-गांठ बनी हुई है, जिनके कारण यूपीए सत्ता से हटी, ऐसे लोगों की पड़ताल कीजिए। हो सके तो वैकल्पिक मीडिया तैयार करने का काम करें। यह ठीक है कि चंद उद्योगपतियों से सरकार को लाभ मिल रहा है, लेकिन इस वजह से सारे उद्योगपतियों से आप दूरी नहीं बना सकते। सत्ता की राजनीति का तकाजा है कि उसे कारोबारियों को अपने साथ रखना होता है। ये काम गांधीजी ने भी किया और नेहरूजी ने भी। आप इस बारे में अपनी झिझक छोड़ेंगे और उद्योगपतियों से भी चर्चाएं करेंगे तो उसके सकारात्मक परिणाम आएंगे।
अंत में फिर से यही कहूंगी कि आप को सत्ता का मोह नहीं है, यह सब जानते हैं। लेकिन जिन करोड़ों लोगों में आपने बेहतर कल की उम्मीद जगाई है, जिन लोगों ने भाजपा को 240 पर ही रोक दिया क्योंकि उन्हें संविधान बचाना है, उन सबकी आस आप पर ही टिकी है, जिसे पूरा करने के लिए इंडिया गठबंधन का सत्ता में आना जरूरी है। अगला कोई वीडियो बनाने या किसी समूह से बात करने में बस इस बात को ध्यान में रखिएगा।


