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84 के सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान पर सरकार से जवाब तलब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पीलीभीत और बरेली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा में पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान मामले में केन्द्र और राज्य सरकार से एक माह में जवाब मांगा है

84 के सिख दंगा पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान पर सरकार से जवाब तलब
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प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पीलीभीत और बरेली में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा में पीड़ितों को मुआवजे के भुगतान मामले में केन्द्र और राज्य सरकार से एक माह में जवाब मांगा है।

न्यायामूर्ति भारती सपू्र तथा न्यायामूर्ति जयन्त बनर्जी की खण्डपीठ ने पीलीभीत के प्यारा सिंह आैर बरेली के हरपाल सिंह की याचिका पर यह आदेेश दिया है।

दंगाइयों ने प्यारा सिंह की पत्नी और पुत्री की हत्या कर घर में आग लगा दी। लाश जलते हुए घर में फेंक दी गयी थी। कुछ मवेशी भी घर में लगी आग में जल मरे थे। सरकार द्वारा मृतक के लिए बीस हजार रूपये और घायलों को दस हजार की सहायता दी गयी थी। इसी प्रकार हरपाल सिंह के घर में भी आग लगा कर पिता को जलते घर में फेंक कर हत्या कर दी गयी थी और मां को इतनी बुरी तरह से मारापीटा जिससे वह मरणासन्न अवस्था में पहुंच गयी। घर में बंधे मवेशी जल मरे थे। नौ लाख 45 हजार का मुआवजे की संस्तुति की गयी है लेकिन भुगतान अभी तक नहीं किया जा सका हैं।

याची अधिवक्ता दिनेश राय का कहना है कि केन्द्र सरकार ने 11 जनवरी 2006 को पुर्नवास नीति घोषित की जिसके अनुसार मृतक को साढ़े तीन लाख, घायल को एक लाख 25 हजार रूपये देने का निर्देश दिया गया है। सम्पत्ति के नुकसान का दस गुना मुआवजा देने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने भी नीति को लागू करने के निर्देश जारी किये हैं।

याची का कहना है कि फरवरी 2015 में पांच लाख देने की बात कही गयी लेकिन दावा आयुक्त सिख विरोधी दंगा कानपुर मंडल ने 34 साल बाद भी मुआवजे का भुगतान न/न कर सके। याचीगण ने उच्च न्यायालय की शरण ली है जिस पर दोनों सरकारों से याचिका के आरोपों पर जवाब मांगा है।


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