लेखकों, जन संगठनों ने हज़ारों मजदूरों को लॉकडाउन में घर पहुंचाया
अखिल भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति और नर्मदा बचाओ आंदोलन समेत करीब बीस जन संगठनों ने लॉकडाउन में देश भर में 10 लाख से अधिक मजदूरों को भूखों मरने से बचाया;
नयी दिल्ली । अखिल भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति और नर्मदा बचाओ आंदोलन समेत करीब बीस जन संगठनों ने लॉकडाउन में देश भर में 10 लाख से अधिक मजदूरों को भूखों मरने से बचाया और 20 हज़ार से अधिक मजदूरों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाकर अद्भुत मिसाल कायम की है।
इस अभियान में हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी से लेकर तेज़ी ग्रोवर और युवा कवयित्री बाबुषा कोहली भी शामिल रही। इन जनसंगठनों ने मजदूरों के भोजन के लिए ‘सामुदायिक किचन’ भी बनाये, उन्हें अनाज भी वितरित किये ,उनके मोबाइल रिचार्ज कराने से लेकर उनके बसों से घर जाने का खर्च उठाया। ट्रेनों में उन्हें बिठाया तथा उनके खाते में पैसे भी जमा कर उनकी मदद की। इसके लिए उन्होंने फेसबुक व्हाट्सऐप और मोबाइल फोन का सहारा लेकर इस काम को अंजाम दिया। सोशल मीडिया से देश में एक नेटवर्क तैयार किया। उनकी अपील पर देश के विभिन्न शहरों में लोग जुड़ते गए और इस तरह लोगों ने इन फंसे मजदूरों की मदद की और उन्हें उनके घर भी पहुंचाया।
भारतीय ज्ञान विज्ञान समिति की उपाध्यक्ष आशा मिश्र ने यूनीवार्ता को बताया कि उनकी संस्था का लक्ष्य था, ‘कोई भूखा नही रहेगा’ और इस लक्ष्य से उन्होंने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश ,झारखंड ,महाराष्ट्र ,राजस्थान उड़ीसा ,मणिपुर ,मिज़ोरम ,नगालैंड और असम में अनेक सामुदायिक किचन बनाये जहां एक एक किचन से तीन- चार सौ गरीब लोगों को खाना खिलाया गया। झारखंड में हमारे इस काम से प्रभावित होकर राज्य सरकार ने हमारे साथ मिलकर कार्य किया।
उन्होंने कहा, “हम लोगों ने देश भर में अब तक करीब 10 लाख गरीब मजदूरों और लोगों को भोजन उपलब्ध कराया और 20 हज़ार मजदूरों को उनके घर पहुंचाया। इन मजदूरों के लिए 25-30 डॉक्टरों की ऑनलाइन व्यवस्था की ताकि मजदूर उन्हें फोन कर उनसे निःशुल्क परामर्श ले सके। इतना ही नहीं लॉकडाउन में लोगों के मानसिक तनाव को देखते हुए हमने करीब 50 मनोचिकित्सकों की व्यवस्था की जिनसे लोग फोन पर मुफ्त परामर्श ले सके। इससे मजदूरों का तनाव दूर हुआ और उन्हें सुझाव भी मिले।
स्वीडन सरकार से पिछले दिनों शीर्ष सम्मान से विभूषित हिंदी की चर्चित कवयित्री तेजी ग्रोवर और उनके कवि पति रुस्तम सिंह ने निजी स्तर पर देश भर में लोगों से फोन पर सम्पर्क कर हज़ारों फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया। इसके लिए उन्होंने प्रशासन , पुलिस परिवहन अधिकारियों और जिलाधिकारियाें को भी फोन किये। श्रीमती ग्रोवर ने तो फेसबुक पर एक अभियान ही चलाया जिससे अनेक लोग आगे आये और उनकी अपील पर सर्वश्री अशोक वाजपेयी, असद ज़ैदी अनिरुद्ध उमट, रूपा सिंह, शुभम अग्रवाल जैसे अनेक लेखक जुड़े और सबने मज़दूरों की बहुत मदद की।
उन्होंने बताया कि पिछले दो माह से हर रोज उनके पास मजदूरों के 25 या 30 फोन आते रहे और जो मजदूर जहां फंसा था वहां उन्होंने अपने दोस्तों को फोन कर उन मजदूरों को मदद करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि मित्रों के सहयोग से इन मजदूरों को एक लाख रुपए की मदद की गई। उनके खाने-पीने और मोबाइल चार्ज, बस किराया,दवा और अन्य चीजों की भी व्यस्था की गई।
श्रीमती ग्रोवर का कहना है कि हिंदी के कम से कम बीस लेखक भी इस अभियान मे जी जान से लग जाएं तो हम हज़ारों मजदूरों की जान बचा सकते हैं और उन्हें उनके घर पहुंच सकते है। हमने प्रशासन पर दवाब डालकर भोपाल से छत्तीस गढ़ के लिए रेलगाड़ी चलवाई जिससे सैकड़ों मजदूर घर गए।