उस्मान हादी के हत्यारों को लेकर भारत-बांग्लादेश में कड़वाहट
बांग्लादेशी युवा नेता उस्मान हादी के हत्यारों के भारत में छिपने के दावे ने दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट को और बढ़ाया. हादी के संगठन इंकलाब मंच ने वहां काम करने वाले भारतीयों के वर्क परमिट रद्द करने की मांग की;
बांग्लादेशी युवा नेता उस्मान हादी के हत्यारों के भारत में छिपने के दावे ने दोनों देशों के बीच संबंधों में कड़वाहट को और बढ़ाया. हादी के संगठन इंकलाब मंच ने वहां काम करने वाले भारतीयों के वर्क परमिट रद्द करने की मांग की.
भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनातनी तो लंबे समय से चल रही थी. लेकिन आपसी संबंधों में निर्णायक मोड़ उस समय आया जब रविवार को ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस ने इंकलाब मंच के संयोजक युवा नेता उस्माद हादी के हत्यारों के भाग कर भारत में छिपने का दावा किया.
इसके साथ ही बांग्लादेश ने मैमनसिंह में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या के बहाने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करने वाले भारत के बयान की भी निंदा की है. उसने उल्टे भारत में अल्पसंख्यकों पर होने वाले कथित अत्याचारों पर गहरी चिंता जताई है.
ढाका पुलिस ने क्या कहा?
ढाका मेट्रोपोलियन पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त एस.एन.मोहम्मद नजरूल इस्लाम ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि इंकलाब मंच के संयोजक उस्मान हादी की हत्या के दोनों प्रमुख अभियुक्त--फैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख मैमनसिंह की हलुआघाट सीमा से होकर भारत भाग गए हैं. उनका कहना था कि उस्मान हादी की हत्या सुनियोजित थी. इस मामले में हमलावरों को भारत भागने में मदद करने के करने वालों समेत कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से छह लोगों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है.
इससे पहले तक पुलिस अधिकारी दावा करते रहे थे कि उनको इस बात की पक्की जानकारी नहीं है कि दोनों मुख्य अभियुक्त कहां हैं.
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ढाका पुलिस ने दावा किया कि सीमा के पास दो लोगों ने इन अभियुक्तों को सीमा पार करने में मदद की और भारतीय सीमा में पूर्ति नामक एक व्यक्ति के हवाले कर दिया. उसके बाद पूर्ति ने सामी नामक एक टैक्सी ड्राइवर के जरिए उनको मेघालय के तूरा शहर में भिजवा दिया.
पुलिस का कहना था कि उसने मेघालय पुलिस से इस मामले में मदद के लिए अनौपचारिक अनुरोध किया था. उसके बाद पूर्ति और सामी को गिरफ्तार कर लिया गया.
ढाका पुलिस के इस दावे के बाद अचानक वहां भारत-विरोधी भावनाएं और भड़क उठी हैं. इसके बाद ही हादी के संगठन ने वहां काम करने वाले भारतीयों के वर्क परमिट को रद्द करने और भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला दर्ज करने की मांग उठाई है.
दावों का खंडन
इधर, मेघालय पुलिस और सीमा सुरक्षा बल ने बांग्लादेश के दावों के खंडन करते हुए कहा है कि उसने उनके साथ कोई संपर्क नहीं किया था और यहां इस मामले से संबंधित कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.
मेघालय पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू से कहा, बांग्लादेश के दावे निराधार हैं. दोनों अभियुक्तों के भारतीय सीमा पार कर यहां आने के कोई सबूत नहीं मिले हैं. बांग्लादेश की पुलिस ने इस मामले में न तो कोई संपर्क किया है और न ही यहां से किसी की गिरफ्तारी हुई है.
उधर, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की मेघालय फ्रंटियर के प्रमुख ओ.पी. उपाध्याय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "हलुआघाट सीमा से अभियुक्तों के यहां आने का कोई सबूत नहीं है. बीएसएफ को ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है. ऐसे दावे निराधार और भ्रामक हैं."
यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि उस्मान हादी को बीते 12 दिसंबर को ढाका में गोली मार दी गई थी. हालत बिगड़ती देख कर सरकार ने उनको बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा था. लेकिन छह दिनों बाद उसकी मौत हो गई. हादी की मौत की खबर फैलते ही ढाका समेत पूरे देश में नए सिरे से हिंसा, तोड़-फोड़ और आगजनी का दौर शुरू हो गया. इसी दौरान मैमन सिंह में दीपू चंद्र दास नामक एक युवक की ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीट कर हत्या करने के बाद उसके शव को सड़क पर जला दिया गया. हादी के समर्थकों ने देश के दो प्रमुख मीडिया संगठनों पर भी हमले किए और तोड़-फोड़ के बाद उनके दफ्तरों में भी आग लगा दी.
इंकलाब मंच की मांग
हादी के संगठन ने अंतरिम सरकार के सामने चार प्रमुख मांग रखी है. उसने हादी के हत्या से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े सभी लोगों को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने की मांग की है. मंच ने बांग्लादेश में काम करने वाले तमाम भारतीय कर्मचारियों के वर्क परमिट तत्काल रद्द करने, शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए सहमत नहीं होने की स्थिति में भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामला दायर करने और बांग्लादेश में परस्पर विरोधाभासी दावा करने वाली सुरक्षा एजेंसियों के संबंधित अधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त कर उनके खिलाफ कानून कार्रवाई करना शामिल है. संगठन की दलील है कि हादी की हत्या में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अपने बयान लगातार बदलती रही हैं, जिससे आम लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है.
इंकलाब मंच के सदस्य सचिव अब्दुल्ला अल जाबेर ने ढाका में पत्रकारों से कहा, "अगले 24 कामकाजी दिवस के भीतर उस्मान हादी के हत्यारों को गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी करना हमारी सबसे प्रमुख मांग है. इसके साथ ही अंतरिम सरकार के कार्यकाल में ही बाकी तीन मांगें भी पूरी करनी होगी. संगठन ने कहा है कि इस मामले में न्याय नहीं मिलने तक उसकी लड़ाई जारी रहेगी."
दबाव में यूनुस सरकार
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उस्मान हादी की मौत के बाद देश में पैदा स्थिति से मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार भारी दबाव में है. हादी के संगठन की ओर से हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी और सजा देने का दबाव बढ़ रहा है. इस मुद्दे पर देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हो चुकी है. अब इंकलाब मंच ने न्याय नहीं मिलने तक ढाका के शाहबाग परिसर में धरना और प्रदर्शन जारी रखने की चेतावनी दी है.
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एक विश्लेषक विश्वजीत चक्रवर्ती डीडब्ल्यू से कहते हैं, "हादी की हत्या के मामले में बढ़ते दबाव के कारण इंकलाब मंच का ध्यान दूसरी ओर मोड़ने के लिए ही पुलिस ने हत्यारों के भारत भागने का दावा किया है. लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस दावे को खारिज कर दिया है. युनूस सरकार ने इस मामले के शीघ्र निपटाने का भी भरोसा दिया है. लेकिन इस ताजा दावे ने देश में पहले ही उबल रही भारत विरोधी भावना को और भड़का दिया है."
हादी की हत्या के मामले में पुलिस ने अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन दोनों मूल अभियुक्त अब भी उसकी पकड़ से बाहर हैं.
अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के मुद्दे पर भी दोनों देश आमने-सामने हैं. भारत ने दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उनकी सुरक्षा का सवाल उठाया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने विभिन्न स्रोतों से मिली खबरों के हवाले दावा किया कि अंतरिम सरकार के सत्ता संभालने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के 29 सौ से ज्यादा मामले सामने आए हैं.
बांग्लादेश में अब मीडिया भी कट्टरपंथी ताकतों के निशाने पर
इसके अगले दिन ही बांग्लादेश ने भी जवाबी हमला करते हुए भारत के दावों को खारिज करते हुए उल्टे यहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का सवाल उठाया और उसे कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भारत और बांग्लादेश के आपसी संबंधों में बीते खासकर एक सप्ताह के दौरान कड़वाहट तेजी से बढ़ी है.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर मईदुल इस्लाम डीडब्ल्यू से कहते हैं, "हाल की घटनाओं के बाद मुझे लगता है कि दोनों देशों के आपसी संबंध 'प्वायंट आफ नो रिटर्न' तक पहुंच गए हैं. बांग्लादेश के राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए फरवरी में होने वाले आम चुनाव के बाद भी कट्टरपंथी ताकतों के ही सत्ता में आने का अंदेशा है. ऐसे में आपसी संबंधों में सुधार की गुंजाइश कम ही नजर आती है."
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लंबे समय से बांग्लादेश को कवर करने वाले भारतीय पत्रकार तापस मुखर्जी डीडब्ल्यू से कहते हैं, "दोनों देशों के आपसी संबंधों में तनातनी तो शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही बढ़ने लगी थी. लेकिन अब खासकर वहां एक हिंदू युवक की सामूहिक पिटाई से हत्या और उस्मान हादी के हत्यारों के भारत में छिपे होने के दावों ने यह खाई इतनी बढ़ा दी है जिसको निकट भविष्य में पाटना मुश्किल ही नजर आता है."