सीबीआई से बच रहे राजीव कुमार की कौन कर रहा है मदद?
शारदा चिटफंड घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पकड़ से लगातार बच रहे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को क्या कोई बचा रहा है;
कोलकाता। शारदा चिटफंड घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की पकड़ से लगातार बच रहे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को क्या कोई बचा रहा है? इस मामले में अनुमान यही लगाया जा रहा है कि शायद उन्हें पुलिस के भीतर से ही मदद मिल रही है और प्रशासन से भी मदद मिल रही है जो उन्हें सीबीआई से एक कदम आगे बनाए रखता है। सीबीआई ने कुमार की तलाश में वह सभी कुछ कर लिया है जो सामान्य रूप से संभव लगता है। उनका मोबाइल ट्रैक किया, पत्नी को पूछताछ के लिए बुलाया, ड्राइवर तक को पूछताछ के लिए बुलाया, होटल-गेस्ट हाउस खंगाले, सरकारी दफ्तरों को देखा, निजी मेडिकल कॉलेजों में तलाशा, लेकिन कुमार नहीं मिले।
साल 2013 में शारदा चिटफंड घोटाले की जांच के लिए जो एसआईटी पश्चिम बंगाल सरकार ने बनाई थी, कुमार उसके मुखिया थे। बाद में वह खुद इसमें फंसते दिखाई दिए। कलकत्ता हाईकोर्ट ने जब उन्हें गिरफ्तारी से दी गई सुरक्षा हटा ली, उसके बाद 13 सितम्बर से सीबीआई उन्हें हिरासत में लेने की कोशिश कर रही है।
सीबीआई ने कुमार पर इस मामले के सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगाया है जिसमें बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नेताओं सहित कई अन्य नेता या तो गिरफ्तार हुए हैं या फिर उनसे पूछताछ हुई है।
कुमार के साथ काम कर चुके कई सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस तकनीक पर उनकी जबरदस्त पकड़ की गवाही देते हैं। उनके तेज दिमाग की भी चर्चाएं करते हैं।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या कुमार को सत्ता प्रतिष्ठान में खास पदों पर बैठे लोगों का समर्थन हासिल है?
इस सवाल का जवाब हां में मानने वालों का तर्क है कि कुमार शहर के पुलिस आयुक्त जैसे बड़े पद पर रह चुके हैं और अभी सीआईडी के अतिरिक्त महानिदेशक हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस के खास अधिकारी व कर्मी इन दोनों चुनिंदा शाखाओं में काम करते हैं।
सेवानिवृत्त अधिकारियों का कहना है कि अपनी दक्षता, प्रतिभा, अपने से पद में नीचे के कर्मियों से विनम्र व्यवहार और हर हाल में इनका समर्थन करने की प्रवृत्ति के कारण कुमार पुलिस फोर्स में बेहद लोकप्रिय हैं। और, इस बात के पूरे आसार हैं कि पुलिसवालों का एक हिस्सा करियर की सबसे बड़ी क्राइसिस से गुजर रहे अपने बॉस के लिए 'अपने भरसक प्रयास' कर रहा हो।
फरवरी में जब सीबीआई अधिकारी उनसे पूछताछ के लिए उनसे मिलने उनके आधिकारिक आवास पर पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचाने के लिए घेरा डाल दिया था और खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे 'संघवाद पर हमला' बताते हुए धरने पर बैठ गई थीं।
कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सोमेन मित्रा को पूरा यकीन है कि राजीव कुमार 'सरकारी संरक्षण' का आनंद उठा रहे हैं।
मित्रा ने आईएएनएस से कहा, "मेरी बात मानिए, राजीव कुमार सरकारी संरक्षण में स्टेट गेस्ट हाउस में समय बिता रहे हैं। नहीं तो सीबीआई इतने जाने पहचाने व्यक्ति को क्यों नहीं पकड़ सकी। अब मैं सुन रहा हूं कि सीबीआई उन्हें पकड़ने के लिए सीआरपीएफ की मदद लेने का प्रयास कर रही है, यह हास्यास्पद है। जब सरकार उनका समर्थन कर रही है तो पुलिस भी इसके लिए बाध्य है। हमारे राज्य की पुलिस रीढ़विहीन है।"
माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम को लगता है कि पता नहीं सीबीआई कुमार को पकड़ना चाह भी रही है या नहीं। उनका कहना है कि इस मामले में तृणमूल और भाजपा की मिलीभगत हो सकती है।
लेकिन, तृणमूल इन सभी बातों को गलत बता रही है। पार्टी की कोर कमेटी के सदस्य ओम प्रकाश मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, "मीडिया रिपोर्ट से जो मैं समझ सका हूं, वह यह है कि उन्होंने (कुमार ने) सीबीआई के साथ ईमेल का आदान-प्रदान किया है। इसलिए मुझे लगता है कि सीबीआई ही बता सकती है कि वह उन्हें क्यों नहीं पकड़ सकी है। लेकिन, मैं कह नहीं सकता कि वे उन्हें खोज भी रहे हैं या नहीं। सीबीआई का ट्रैक रिकार्ड बेहद खराब है। वे पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण हैं।"