बंदर भगाने के लिए जिम्मेदार निगम के कर्मियों को जब बंदरों ने भगाया

देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में इन दिनों खुद डॉक्टर दहशत में हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी रक्षा की गुहार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगाई है;

Update: 2017-07-18 03:04 GMT

डॉक्टर दहशत में बंदरों के आतंक से बचाने के लिए पीएमओ से लगाई गुहार 
 

-निगम मुख्यालय में घुसे उत्पाती बंदर, कार्यवाही की उठी मांग 

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में इन दिनों खुद डॉक्टर दहशत में हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी रक्षा की गुहार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगाई है।

डॉक्टरों को किसी इंसान से नहीं बंदरों और कुत्तों के आतंक से दहशत है। वजह है कि ये बंदर एम्स के मुख्य परिसर में बेखौफ अपना शिकार करते हैं। मरीजों तक बात जब तक रही तब तक बेशक डॉक्टर खामोश रहे हों लेकिन जब तीन डॉक्टरों के जिस्म पर बंदरों ने अपने दांत बना दिए तो एम्स की जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय से हस्तक्षेप की गुहार लगा दी। 

लेकिन हद तो तब हो गई कि जिस नगर निगम पर दिल्ली में बंदरों के आतंक से बचाने का जिम्मा है उसी निगम में एक उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मुख्यालय के वीआईपी ब्लॉक में आज उस समय हड़कम्प मच गया जब मुख्यालय की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात सुरक्षकर्मियों को धत्ता बताकर दो बन्दर सिविक सेन्टर के ए-ब्लॉक में घुस आये।

इस दौरान सिविक सेन्टर में करीब आधा घंटे तक अफरा तफरी का माहौल बना रहा। बन्दरों को भारी मशक्कत के बाद निगमकर्मियों ने निकाल दिया लेकिन बंदरों के हमले से पहले जनता को भूले निगमकर्मियों व पार्षदों को एकीकृत दिल्ली नगर निगम के पूर्व उपमहापौर सविंद्रजीत सिंह बाजवा की मौत जरूर याद आ गई। 

जनता की शिकायत पर खानापूर्ति करने वाले निगमकर्मियों की हालत देखते बन रही थी कि जब निगम मुख्यालय सिविक सेन्टर की दूसरी मंजिल पर बंदरों ने उन्हें बिल्डिंग में ऊपर-नीचे, गलियारे में खूब छकाया।

यहां माहपौर, निगम में नेता विपक्ष के कार्यालय हैं, जहां सैंकड़ों मुलाकाती आते हैं, लेकिन गनीमत रही कि बंदरों ने किसी को अपना शिकार नहीं बनाया और न ही वे किसी कार्यालय में घुस पाये।

कांग्रेस पार्षद दल के नेता मुकेश गोयल ने घटना के लिये निगम प्रशासन के साथ सुरक्षा व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे निगमकर्मियों की घोर लापरवाही बताया।

उन्होंने कहा कि सिविक सेंटर की सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रूपये खर्च होते हैं और वैटेरनरी विभाग जब अपने मुख्यालय को ही बंदर व आवारा कुत्तों से मुक्त नहीं रख पा रहा है तो दिल्ली के इलाकों का क्या हाल होगा। हां, अब घटना की जांच व वैटेरनरी विभाग की लापरवाही के लिये जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग जरूर उठ गई है। 

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