वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक को उप्र में दिया जायेगा उद्योग का दर्जा
उत्तर प्रदेश सरकार वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिये जाने की तैयारी में जुटा;
लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिये जाने की तैयारी में जुटा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यहां बताया कि रोजगार की संभावनाओं को देखते हुये उत्तर प्रदेश सरकार वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक इकाइयों काे उद्योग का दर्जा देने की तैयारी कर रही है। इसके लिये मुख्यमंत्री सहमति दे दी है। अब वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स इकाइयाँ औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को औद्योगिक गतिविधि के लिए आरक्षित क्षेत्रों के आवंटन और भूमि उपयोग के लिए औद्योगिक दर का 1.5 गुना भुगतान करेंगी, जो भूमि की लागत के रूप में इस सेक्टर में इकाइयों की स्थापना की मौजूदा लागत की तुलना में लगभग एक तिहाई हो जाएगा।
औद्योंगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने यहां बताया कि वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक इकाइयों में रोजगार की अपार संभावनाये है। इन्हें उद्योग का दर्जा देने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सहमति दे दी है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में रखा जायेगा।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में राज्य सरकार ने सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरणों को अपने मास्टर प्लान व नियमों में संशोधन करके इस प्राविधान को शीघ्र लागू करने के लिए निर्देश दिया है।
प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार ने बताया कि वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक इकाइयां औद्योगित गतिविधि के लिये आरक्षित क्षेत्रों के आवंटन और भूमि उपयोग के लिये औद्योगिक दर का 1़ 5 गुना भुगतान करेंगी। जो भूमि की लागत के रूप में इस सेक्टर में इकाइयों की स्थापना की मौजूदा लागत की तुलना में लगभग एक तिहाई हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि उदाहरण के लिए, वर्तमान में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए भूमि की लागत औसतन 40-60,000 रुपये प्रति वर्गमीटर है, जबकि इस प्राविधान के लागू होने के बाद यह लगभग 15-20,000 रुपये प्रति वर्गमीटर हो जाएगी।
इसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा), गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा), लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण (लीडा), सतहरिया औद्योगिक विकास प्राधिकरण (सीडा), यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) और दिल्ली-मुंबई औद्योगिक काॅरीडोर पर एकीकृत औद्योगिक टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (डीएमआईसी-आईआईटीजीएल) सम्मिलित हैं।
इस मामले में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधीन सभी विकास प्राधिकरणों द्वारा अपने जोनिंग नियमों तथा संगत नियमों में इस आशय से संशोधन किया जाएगा। औद्योगिक भू-उपयोग में वेयरहाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स अनुमन्य गतिविधि हाेंगे तथा भू-उपयोग परिवर्तन के प्रकरणों में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स पार्क और इकाइयों से औद्योगिक भू-उपयोग के समान भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क लिया जाएगा।
इस निर्णय से राज्य की विभिन्न परियोजनाओं, जैसे- जेवर हवाई अड्डा, अंतर्देशीय जलमार्ग, मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट एवं लॉजिस्टिक्स हब आदि में निवेश तो आकर्षित होगा ही, राज्य में सुदृढ़ वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निकट स्थित होने के अद्वितीय लाभ तथा विद्यमान एवं निर्माणाधीन एक्सप्रेसवेज़ के नेटवर्क का पूरक होगा, जिसके फलस्वरूप राज्य और उत्तरी भारत में निर्मित माल के परिवहन और भण्डारण की क्षमताओं में वृद्धि का लाभ यहां स्थापित मैन्यूफक्चरिंग इकाइयों को भी मिलेगा।