अटल जी के निधन से मैं निशब्द हूँ, शून्य में हूं: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए आज कहा कि उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन हर भारतीय को हमेशा मिलता रहेगा;
ॉनयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए आज कहा कि उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन हर भारतीय को हमेशा मिलता रहेगा।
पीएम मोदी ने ट्विटर पर भावपूर्ण श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा, “ मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है। हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।”
India grieves the demise of our beloved Atal Ji.
His passing away marks the end of an era. He lived for the nation and served it assiduously for decades. My thoughts are with his family, BJP Karyakartas and millions of admirers in this hour of sadness. Om Shanti.
मैं नि:शब्द हूं, शून्य में हूं, लेकिन भावनाओं का ज्वार उमड़ रहा है।
हम सभी के श्रद्धेय अटल जी हमारे बीच नहीं रहे। अपने जीवन का प्रत्येक पल उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उनका जाना, एक युग का अंत है।
उन्होंने लिखा, “लेकिन वो हमें कहकर गए हैं- “मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”
It was Atal Ji's exemplary leadership that set the foundations for a strong, prosperous and inclusive India in the 21st century. His futuristic policies across various sectors touched the lives of each and every citizen of India.
लेकिन वो हमें कहकर गए हैं-
“मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”
प्रधानमंत्री ने तीसरे ट्वीट में लिखा, “अटल जी आज हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन उनकी प्रेरणा, उनका मार्गदर्शन, हर भारतीय को, हर भाजपा कार्यकर्ता को हमेशा मिलता रहेगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके हर स्नेही को ये दुःख सहन करने की शक्ति दे। ओम शांति !”
It was Atal Ji's exemplary leadership that set the foundations for a strong, prosperous and inclusive India in the 21st century. His futuristic policies across various sectors touched the lives of each and every citizen of India.
लेकिन वो हमें कहकर गए हैं-
“मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं?”