वीडी शर्मा बैक य इनमें से कोई चेहरा! कौन होगा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष?
भाजपा यदि दलित वोटर्स को ध्यान में रखकर निर्णय लेती है तो इस वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बना कर भाजपा दलित वोटबैंक को साध सकती है। इसी तरह वीडी शर्मा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया तो उनके स्थान पर सामान्य वर्ग के नेता को भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।;
By : गजेन्द्र इंगले
Update: 2023-01-19 04:40 GMT
गजेन्द्र इंगले
भोपाल: मध्यप्रदेश के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल बढ़ेगा या नहीं? इस पर तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं हालांकि इस पर पार्टी जल्दी ही फैसला लेगी। वीडी का तीन साल का कार्यकाल अगले महीने पूरा हो रहा है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो, नड्डा का कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद भी उनकी टीम में बड़े पैमाने पर बदलाव होना तय है। इसमें राष्ट्रीय पदाधिकारियों से लेकर राज्य के अध्यक्ष भी बदले जाना है। खासकर उन राज्यों में, जहां बीजेपी की सरकार है। दरअसल, पार्टी विधानसभा चुनावों को 2024 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है।
अगर विष्णु दत्त शर्मा को अध्यक्ष पद से हटाया तो इस तरह की अटकले हैं कि उन्हें केंद्र में जिम्मेदारी दी जा सकती है। उनके स्थान पर पार्टी चुनावी गणित के हिसाब से जातीय कार्ड खेल सकती है। इस नजर से प्रदेश में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती आदिवासी वोटबैंक को साधने की है। 2018 में हार की वजह इस बड़े वोटबैंक का छिटकना था। ऐसे में आदिवासी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है। इसमें राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी का नाम आगे है। सोलंकी मोदी-शाह की पसंद भी हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उनकी पटरी भी बैठ जाएगी। शिवराज सिंह भी आजकल आदिवासी वोटबैंक पर लगातार काम कर रहे हैं।
मप्र में आदिवासी वोटर्स 22% हैं। आदिवासी बहुल इलाके में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 84 में से 34 सीट पर जीत हासिल की थी। 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। इस तरह देखा जाए तो 2018 में भाजपा को 25 सीटों पर नुकसान हुआ है। जिन सीटों पर आदिवासी जीत और हार तय करते हैं, वहां सिर्फ बीजेपी को 16 सीटों पर ही जीत मिली है। 2013 की तुलना में 18 सीट कम है। अब सरकार आदिवासी जनाधार को वापस लाने की कोशिश में जुटी है।
इसी तरह वीडी शर्मा का कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया तो उनके स्थान पर सामान्य वर्ग के नेता को भी अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला इस रेस में सबसे आगे नजर आ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि शुक्ला के नाम पर शिवराज सहमत हो जाएंगे और अन्य नेताओं की तरफ से उनका विरोध नहीं होगा। खास बात यह है कि शुक्ला को अध्यक्ष बनाया जाता है तो बीजेपी विंध्य के साथ-साथ महाकौशल भी साध लेगी। भाजपा के अंदर ही इनका नाम भी चर्चाओं में है।
पिछले चुनाव के आंकड़े देखें तो प्रदेश के छह अंचलों में विंध्याचल एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा जहां बीजेपी ने पिछले चुनावों से कहीं अधिक बेहतर प्रदर्शन किया। यहां की 30 सीटों में से उसे 24 पर जीत मिली, लेकिन 2013 में विंध्य में प्रदर्शन सबसे कमजोर था। तब 30 में से 17 सीटें जीती थीं। इस बार 7 सीटें बढ़ी हैं, लेकिन महाकौशल में बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। पूरे अंचल की बात करें तो 38 सीटें हैं। कांग्रेस 23, भाजपा 14 और 1 निर्दलीय के खाते में गई। पिछली बार कांग्रेस 13, भाजपा 24 और 1 निर्दलीय को मिली थी।
भाजपा यदि दलित वोटर्स को ध्यान में रखकर निर्णय लेती है तो इस वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बना कर भाजपा दलित वोटबैंक को साध सकती है। यदि ऐसा होता है तो बीजेपी के अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य को यह कुर्सी सौंपी जा सकती है। लाल सिंह आर्य, शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मंत्री रह चुके हैं। हालांकि वे 2018 में चुनाव हार गए थे। लेकिन दलित नेता के रूप में प्रदेश में उनकी अच्छी छवि है
मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए प्रदेश की 35 विधानसभा सीटें आरक्षित है, जबकि वोट बैंक के लिहाज से 17% वोट इसी वर्ग के हैं। यह वोट बैंक 50 से ज्यादा सीटों पर अपनी सीधी पकड़ रखता है और निर्णायक भूमिका में रहता है। वर्तमान में 35 सीटों में से भाजपा के पास 21 सीट है, 14 सीटें कांग्रेस के पास हैं। इससे पहले भाजपा की झोली में SC सीटें 28 थीं, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 8 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि कांग्रेस को फायदा हुआ। इसके अलावा 28 सीटों पर भी बीजेपी की पकड़ कमजोर होती नजर आई, ऐसे में कांग्रेस इस वोट बैंक में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है तो बीजेपी इस वर्ग पर अपनी पकड़ वापस लाना चाहती है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा इन तीनों में से किस फैक्टर को तवज्जो देती है। क्यूंकि चुनाव में तीनों ही अपना अपना महत्व रखते हैं। इसी बीच इस तरह की भी चर्चा है कि वीडी शर्मा ही प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। चुनाव में समय कम है और वीडी शर्मा की हर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं पर सीधी पकड़ है। उनके अध्यक्ष बने रहने का कोई विरोध भी नहीं होगा। कयास जो भी लग रहे हों लेकिन भाजपा कई बार चोंकाने वाले निर्णय लेती है। इसलिए किसी भी सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता।