भाजपा में आपसी टकराव किसी ‘विद्रोही बैठक’ का परिणाम नहीं, बल्कि एसआईआर के बाद बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटने की सूचना से उपजा है : अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को दावा किया कि उत्तर प्रदेश भाजपा में उभरा आपसी टकराव किसी कथित ‘विद्रोही बैठक’ का परिणाम नहीं, बल्कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटने की सूचना से उपजा है;

Update: 2025-12-27 12:23 GMT

एसआईआर के बाद बड़ी संख्या में वोटर कटने से भाजपा के अंदर मची है कलह: अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को दावा किया कि उत्तर प्रदेश भाजपा में उभरा आपसी टकराव किसी कथित ‘विद्रोही बैठक’ का परिणाम नहीं, बल्कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटने की सूचना से उपजा है।

यादव ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि एसआईआर में लगभग 2.89 करोड़ मतदाताओं के नाम हटाए जाने की सूचना पहले ही भाजपा विधायकों के बीच प्रसारित हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि इनमें से 85–90 प्रतिशत मतदाता मुख्यमंत्री के अपने समर्थक बताए जा रहे हैं। सपा अध्यक्ष ने कहा कि यदि 2.89 करोड़ का 85 प्रतिशत भी माना जाए तो यह संख्या करीब 2.45 करोड़ बैठती है, जिसका प्रभाव प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर औसतन लगभग 61 हजार मत प्रति सीट के रूप में पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि इस स्थिति में भाजपा हर सीट पर आनुपातिक रूप से भारी नुकसान में रहेगी और चुनाव में दहाई का आंकड़ा भी पार करना मुश्किल होगा। यही कारण है कि भाजपा के भीतर आरोप-प्रत्यारोप, खुले नोटिस और सार्वजनिक बयानबाजी जैसी स्थितियां सामने आ रही हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा विधायक अलग-अलग बैठकें कर यह संदेश दे रहे हैं कि सरकार, संगठन और सहयोगी दल उनकी बात नहीं सुन रहे, जिससे उनके क्षेत्रीय काम प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले होने वाले कामकाज आधारित मूल्यांकन सर्वे में ऐसे विधायक असफल साबित होंगे।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा में कुछ गिने-चुने लोगों के कथित भ्रष्टाचार का खामियाजा असंतोष से विद्रोह के स्तर तक पहुंचे नेताओं को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर की प्रक्रिया ने भाजपा को उसी संकट में धकेल दिया है, जिसे उसने खुद पैदा किया है।

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