कायाकल्प के सामने अस्पताल के 'कायाकल्प' की खुली पोल

जशपुरसे पहुंची 'कायाकल्प' की पांच सदस्यीय टीम ने आज जिला अस्पताल का निरीक्षण किया;

Update: 2017-09-15 13:12 GMT

बिलासपुर।  जशपुरसे पहुंची 'कायाकल्प' की पांच सदस्यीय टीम ने आज जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। टीम के सदस्यों ने अलग-अलग वार्डोद्व मशीनों, दवाईयों सहित पूरे अस्पताल का निरीक्षण किया। टीम में जशपुर के जिला अस्पताल के सिविल सर्जन सहित सलाहकार डा.राजेश कुरील, फार्मासिस्ट व अन्य स्टाफ शामिल थे।

जिला अस्पताल में कायाकल्प की टीम जब पहुंची तो अस्पताल प्रबंधन ने आनन फानन में व्यवस्था दुरूस्त का प्रयास किया वहीं टीम ने तीन गु्रपों में बटकर अस्पताल का निरीक्षण किया। टीम ने अस्पताल की खामियां छिपाने की गई लीपापोती को भांप लिया और बारीकी से निरीक्षण किया। अस्पताल प्रबंधन ने इस बार की खामियां दूर करने व्यवस्था सुधार ने लाखों खर्च किए लेकिन टीम के सामने पोल खुलती दिखी। पिछले साल की तरह इस बार भी जिला अस्पताल को सात्वंना पुरस्कार से संतुष्ट होना पड़ सकता है।

जिला अस्पताल में आज सुबह 10 बजे कायाकल्प की 5 सदस्यीय टीम पहुंची। टीम के आने के पहले ही स्टॉफ सुविधा मरीजों के लिए दवा और खामियां ढकने पूरा इंतजाम किया जा रहा था। अस्पताल प्रबंधन ने आज टीम के आंखों में धूल झोंकने के लिए सुबह आनन-फानन में सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के बोर्ड व फ्लैक्स लगवा दिए थे। सभी वार्डों की साफ-सफाई हुई। वार्ड बाय, स्टाफ नर्स सहित सभी कर्मचारी ड्रेस कोड का पालन करते दिखे। कायाकल्प की टीम ने सभी वार्डों व अस्पताल परिसर का निरीक्षण किया। पिछले तीन सालों से शासन द्वारा टीम बनाकर शासकीय अस्पतालों का निरीक्षण कराया जाता है। जिसमें चिकित्सा सुविधा व संसाधन,स्वच्छता पर खरा उतरने पर सम्मानित कर ईनाम दिया जाता है। 

पिछले तीन सालों से जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा लाखों रूपए खर्च कर तैयारी की जाती है। उसके बाद भी सात्वंना पुरस्कार से ही संतुष्ट होना पड़ रहा है। कायाकल्प की टीम ने जिला अस्पताल के 270 बिन्दुओं पर निरीक्षण किया है जिसमें स्वच्छता, ड्रेस कोड, दवाईयां, मशीन, वार्ड, नर्सेस स्टाफ कर्मचारी व चिकित्सा सुविधा के आधार पर अंक दिए जाएंगे। टीम ने दिन भर निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार कर ली है। अब यह रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी। जिसके आधार पर समस्त जिलों की सूची तैयार कर सर्वोच्च अंक पाने वाले जिला अस्पताल को 50 लाख का इनाम दिया जाएगा।

जानकारी नहीं दे पाए अधिकारी

कायाकल्प की टीम की जानकारी के लिए सिविल सर्जन को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं आरएमओ से जब जानकारी लेनी चाही गई तो उन्होंने जानकारी नहीं दे पाने का हवाला देकर फोन काट दिया। इससे साफ जाहिर है कि अस्पताल प्रबंधन को टीम ने खरी खोटी सुनाई होगी या फिर निरीक्षण के दौरान नाराजगी जाहिर की होगी।

आनन-फानन में लगे बैनर-पोस्टर, लाईट

जिला अस्पताल में कायाकल्प की टीम के आने के महज एक घंटे पहले ही ओपीडी में फाल सिलिंग में लाइट लगाई गई। वहीं पर्ची काउंटर के पास में जननी सुरक्षा, जच्चा-बच्चा व एंटी रेबीज के फ्लैक्स टांगे गये। जबकि शासकीय अस्पतालों में अनिवार्य है कि स्वास्थ्य परिवार कल्याण की सारी सुविधाओं का बोर्ड हमेशा लगाया जाये। लेकिन जिला अस्पताल में जब भी कायाकल्प कलेक्टर व किसी मंत्री का निरीक्षण या कार्यक्रम होता है तो ही बैनर, पोस्टर दिखते हैं। सरकारी योजनाओं के माध्यम से ही गरीबों को लाभ मिलता है। लेकिन इन जानकारियों के अभाव से ही मरीज निजी अस्पतालों में ठगे जाते हैं।

भटकती रही महिला

टीक के निरीक्षण के दौरान आइसोलेशन वार्ड में लिंगियाडीह निवासी एक महिला अपने परिजन को भर्ती कराने अस्पताल में इधर-उधर भटकती रही, लेकिन बेड फुल होने का हवाला देकर उसे नर्स टालती रही। नाम न छापने की शर्त पर उसने बताया कि उसके साथ उसकी रिश्तेदार है। वह गर्भवती है उसे भर्ती कराना है। 2 घंटे से प्रथम मंजिल से तृतीय मंजिल तक भटक रही है लेकिन कोई भर्ती नहीं ले रहा है। जबकि नेत्र विभाग में ही अलग से मरीजों को भर्ती करने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।

दर्जनों खामियां

जिला अस्पताल निरीक्षण के लिए पहुुंची कायाकल्प की टीम ने जब मशीनों की जंाच की तो एक्सरे, श्रवण मशीन सेलकाउंटर, सोनोग्राफी खराब पाई गई। वहीं निरीक्षण के दौरान प्रसाधनों में दरवाजा नहीं होने पर टीम ने नाराजगी जताई। साथ ही गंदगी देखकर टीम के सदस्य रूमाल से अपना मुंंह ढंकते रहे। ज्ञात हो कि ठीक एक साल पहले जब कायाकल्प की टीम आई थी तब भी बंद मशीनों व गंदगी तथा प्रसाधन कक्ष में दरवाजा लगाने के निर्देश दिये थे। वहीं बंद मशीन को मरम्मत कर सुधारने की भी बात कही थी। फिर भी एक साल बाद भी अस्पताल में दर्जनों खामियां देखने को मिली।

Tags:    

Similar News