लोकसभा में विपक्ष के नेता की नियुक्ति पर सुनवाई टाली

लोकसभा अध्यक्ष को लोकसभा में विपक्ष के नेता की नियुक्ति का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई को आठ जुलाई तक के लिए टाल दी;

Update: 2019-06-26 15:45 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज लोकसभा अध्यक्ष को लोकसभा में विपक्ष के नेता की नियुक्ति का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई को आठ जुलाई तक के लिए टाल दी। अदालत ने कहा कि इस मामले में तत्काल सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। अवकाश पीठ एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही है। इसे वकील मनमोहन सिंह व शिश्मिता कुमारी ने दाखिल किया है। इसमें निचले सदन में विपक्ष के नेता की नियुक्ति के लिए लोकसभा अध्यक्ष को एक नीति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

मामले को एक नियमित बेंच को भेज दिया गया।

वकीलों ने कहा, "नई लोकसभा में 52 सदस्यों के साथ कांग्रेस विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है और इसलिए कानून के तहत पद के लिए सही दावेदार है। इस बारे में कोई संशय नहीं है क्योंकि इस बिंदु पर कानून बिल्कुल स्पष्ट है।"

उन्होंने कहा कि संसद (लोकसभा) में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को विपक्ष का नेतृत्व देने से मना करने से एक गलत मिसाल कायम होगी और लोकतंत्र कमजोर होगा।

उन्होंने कहा कि इस दलील में कोई दम नहीं है कि चूंकि के पास सदन के कुल सदस्यों का दस फीसदी हिस्सा नहीं है, इसलिए वह विपक्ष के नेता के दर्जे के लिए दावा नहीं कर सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कहा कि सदन के एक सदस्य को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता देना राजनीतिक या अंक संबंधी नहीं बल्कि एक वैधानिक निर्णय है। लोकसभा अध्यक्ष को सिर्फ यह तय करना है कि क्या पद का दावा करने वाली पार्टी विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है या नहीं।

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