अनाज मंडी से गेहूं का उठान नहीं होने से व्यापारी परेशान
अनाज मंडी में पिछले कई दिनों से गेहूं का उठाव न होने के कारण मंडी में गेहूं के ढेर लगे पड़े हैं। जिसके कारण किसानों के साथ-साथ आढ़तियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है;
होडल। अनाज मंडी में पिछले कई दिनों से गेहूं का उठाव न होने के कारण मंडी में गेहूं के ढेर लगे पड़े हैं। जिसके कारण किसानों के साथ-साथ आढ़तियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अनाज मंडी फसल की बढ़ती आवक और गेहूं का उठान न होने के कारण आढ़तियों का धैर्य भी अब जबाव देने लगा है। मंडी के आढ़ती एकत्रित होकर इस मामले को उच्च अधिकारियों के समक्ष भी कई बार उठा चुके हैं लेकिन एक सप्ताह बीतने के बाद भी मंडी में सरकारी खरीद एजेंसियों और माल उठाने वालों ने इस मामले को कोई कदम नहीं उठाया है।
अनाज मंडी में फिलहाल 10 लाख से अधिक गेहूं के कट्टों के चट्टे लगे हुए हैं। मंडी जगह जगह लगे ऊंचाई तक लगे इन चट्टों के कारण दुघर्टना का भय भी बना हुआ है। माल उठाव न होने का मुख्य कारण खरीद एजेंसियों द्वारा छोड़े गए ठेकेदारों के पास पर्याप्त लेवर न होना बताया गया है। मंडी में माल उठाए जाने के मामले में आढ़तियों द्वारा बार बार उच्च अधिकारियों के समक्ष गुहार लगाए जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
अब मंडी के व्यापारियों ने गेहूं के कट्टों की वीडियोग्राफी कराकर उच्च अधिकारियों को भेजी है और माल उठाव कराए जाने की मांग की है। उधर मंडी से माल का उठाव न होने के पर मार्केट कमेटी द्वारा सरकारी खरीद एजेंसियों को तीसरा नोटिस जारी किया गया है। विभाग के रिकार्ड के अनुसार दोनों सरकारी खरीद एजेसियों द्वारा 13 अप्रैल तक 8 लाख 98 हजार 890 कुंतल गेहूं की खरीद की जा चुकी है जबकि पिछले साल 13 अप्रैल तक 7 लाख 90 हजार 825 कुंतल गेहूं खरीदा गया था। अबकि बार जब गेहूं की बम्पर फसल हुई है तो अब मंडी से गेहूं का उठाव नहीं होने के कारण आढ़तियों को समक्ष आर्थिक परेशानी पैदा हो गई है। मंडी में अधिक फसल की आवक और गेहूं के कट्टों का उठान न होने के कारण किसान मंडी से बाहर प्लॉटों में गेहूं उतारने को मजबूर हैं। जहां रात के समय सूअर तथा अन्य आवारा जानवरों से फसल को बचाना कठिन काम हो रहा है। किसान पूरी रात मंडी में खुले आसमान के नीचे अपनी गेहूं की फसल को बचाने के चक्कर में जाग कर रात गुजारने को मजबूर है। सरकार द्वारा शुरु की गई ई-खरीद प्रणाली किसानों के लिए जी का जंजाल बनी हुई है।
मार्केट कमेटी द्वारा जहां किसानों को फसल के बदले आन लाईन भुगतान के लिए जागरुक किया जा रहा है, वहीं किसान इस प्रणाली से दूरी बना रहा है और आढ़ती से नकद लेने देन करने की गुहार लगा रहा है। जबकि प्रदेश सरकार द्वारा अधिकांश भुगतान अब कैशलैस प्रक्रिया के तहत किया जाना आनिवार्य किया जा चुका है। जिसके तहत मार्केट कमेटी द्वारा 1 अप्रैल से 13 अप्रैल तक 2 करोड 20 लाख रुपए की फीस वसूल की जा चुकी है। सरकार द्वारा अब केवल चैक या कैशलैस प्रक्रिया के तहत की लेनेदेन पर जोर दिया जा रहा है।
जिसको लेकर मंडी के आढ़ती भी जागरुक होने लगे हैं और अधिकांश भुगतान कैशलैस प्रक्रिया के तहत की किसानों का भुगतान किया जा रहा है। मंडी में पहुंचने वाले किसानों को कैशलैस योजना के बारे में जागरुक किया जा रहा है। जिससे आढती और किसान दोनों को ही फायदा मिलेगा। कैशलैस प्रक्रिया के तहत 1 अप्रैल से 13 अप्रैल तक 2 करोड 20 लाख रुपए की फीस वसूल की जा चुकी है।
- राहुल यादव ,सचिव,मार्केट कमेटी