ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर दलहन, तिलहन एवं मक्का की फसल लेने पर जोर
छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में इस वर्ष कम वर्षा के कारण सूखे और फसल क्षति की स्थिति निर्मित हुई है;
महासमुंद। छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में इस वर्ष कम वर्षा के कारण सूखे और फसल क्षति की स्थिति निर्मित हुई है। शासन की नीति रही है कि कम वर्षा की स्थिति में प्रदेश की जनता को सर्वप्रथम पेयजल एवं निस्तारी के लिए जल उपलब्ध कराया जाए। इसके उपरांत शेष जल का उपयोग कृषि एवं अन्य गतिविधयों में किया जाए। इसी तारतम्य में काफी मात्रा में सिंचाई पानी का उपयोग करने वाली ग्रीष्मकालीन फसल धान के स्थान पर कम जल मांग वाली दलहन, तिलहन एवं मक्का की फसल को प्रोत्साहित करने के लिए जोर दिया गया है।
कलेक्टर हिमशिखर गुप्ता ने कृषि विभाग के अधिकारियों को कम जल की मांग वाली दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ दलहन, तिलहन, मक्का क्षेत्र विस्तार के लिए केन्द्र एवं राज्य पोषित योजनाओं के माध्यम से खेतों में प्रदर्शन करने तथा मिनीकिट वितरण कर कृषकों को प्रोत्साहित करने को कहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि शासन द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में नलकूप के माध्यम से ग्रीष्मकालीन धान उत्पादन लेने पर छत्तीसगढ़ संरक्षण अधिनियम 1986 के निहित प्रावधानों के अंतर्गत जिला कलेक्टर को प्रदत्त शक्तियों के अध्याधीन प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं।