गणतंत्र दिवस पर खतरे का आलम, जम्मू में मांगी गई सेना की मदद,कश्मीर में भी हाई अलर्ट के बीच लोगों को समारोहस्थल तक लाने की कवायद

गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा प्रबंधों के प्रति किए जाने सरकारी दावों की सच्चाई यह है कि प्रशासन ने जम्मू में मदद के लिए सेना को भी तलब किया;

Update: 2020-01-23 18:06 GMT

--सुरेश एस डुग्गर--

जम्मू। गणतंत्र दिवस पर सुरक्षा प्रबंधों के प्रति किए जाने सरकारी दावों की सच्चाई यह है कि प्रशासन ने जम्मू में मदद के लिए सेना को भी तलब किया है। इसके अतिरिक्त ड्रोन और अति आधुनिक उपकरणों व संसाधनों का इस्तेमाल आतंकी खतरे को दूर रखने के लिए किया जा रहा है।

सेना की कई टुकड़ियों को जम्मू शहर समेत उन इलाकों में सुबह शाम गश्त के लिए लगाया गया है जहां गणतंत्र दिवस समारोहों का आयोजन होना है। हालांकि प्रशासन कहता है कि सेना को नागरिकों में भरोसा कायम करने के इरादों से बुलाया गया है जबकि सच्चाई यह है कि सेना की टुकड़ियों की गश्त उन्हें दहशतजदा कर रही है।

आधिकारिक तौर पर कहा जा रहा है कि गणतंत्र दिवस समारोहों पर कोई खतरा नहीं है पर तैयारियां, सेना की गश्त, उड़ते ड्रोन और लगाए जाने वाले जांच नाके सरकारी दावों की धज्जियां जरूर उड़ा रहे थे। खासकर जम्मू शहर में और उन सीमावर्ती इलाकों में जहां घुसपैठ होने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा हैै।

ऐसा दहशत का माहौल सिर्फ जम्मू शहर में ही नहीं है बल्कि प्रत्येक जिले में और कश्मीर में भी है। कश्मीर में तो सबसे बड़ी चिंता प्रशासन की यह है कि लोगों को समारोहस्थलों तक कैसे लाया जाए। यह उसके लिए इज्जत का सवाल भी इसलिए बन गया है क्योंकि प्रशासन अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद की परिस्थितियों मंे हजारों की संख्यां मंें लोगों को समारोहस्थलों तक लाने की कवायद में जुटा है ताकि दुनिया को बता सके कि कश्मीर में सब चंगा है।

जम्मू कश्मीर में लोगों को आमंत्रण भी दिया ला रहा है। अखबारों में इश्तहार देकर लोगों को न्यौता दिया जा रहा है। लोगों को समारोहस्थलों तक पहुंचाने की खातिर सरकारी बसों के इंतजाम की बात की जा रही है, पर आम नागरिकों का सवाल यह था कि मंडराते खतरे से बचाने की गारंटी कौन देगा। वैसे यह कोई पहला अवसर नहीं है कि राज्य मंे गणतंत्र दिवस पर आतंकी खतरा मंडराया हो बल्कि 31 सालों से यही होता आ रहा है और हर बार गणतंत्र दिवस से पहले आतंकियों की गिरफ्तारियों तथा मुठभेड़ों में आतंकियों को मार गिराने की कवायदें सिर्फ नागरिकों में दहशत ही फैलाती आई हैं।

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